हरियाणा

कब खुलेगा शम्भू बॉर्डर मार्ग, व्यपारी व जनता परेशान

टीम एक्शन इंडिया
मनीष कुमार
अम्बाला: हरियाणा और पंजाब बॉर्डर से सटे शंभू बॉर्डर पर किसानों का धरना जारी है। किसानों ने रेलवे स्टेशन पर धरना समाप्त कर दिया है। जिसके बाद से रेलवे मार्ग तो खुल गया है लेकिन रोड बंद होने के कारण अभी भी बसों, वाहनों को घन्नौर सहित गांवों से होकर जाना पड़ रहा है। यहां तक कि अंबाला से राजपुरा का 20 मिनट का सफर 2 घंटें में पूरा हो रहा है। बता दें कि शंभू बॉर्डर पर किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं।

इस आंदोलन के दौरान पुलिस ने युवा नेता नवदीप सिंह जलबेड़ा समेत 3 किसानों को भी गिरफ्तार कर लिया था । जिसके बाद उनकी रिहाई की मांग को लेकर पंजाब के 2 किसान संगठन 17 अप्रैल से रेलवे स्टेशन पर ट्रैक जाम करके बैठे थे। जिन्होंने काफी समय बाद रेलवे ट्रैक तो खोल दिया लेकिन प्रशासन की तरफ से बंद किया गया रोड अभी भी बंद है। अंबाला कपड़ा मार्केट के व्यापारियों का कहना है कि सड़क मार्ग खुलने के बाद ही व्यापारी वर्ग को राहत मिलेगी।

अभी अंबाला से राजपुरा जाने में ही 2 घंटे तक का समय लग जाता है। ऐसे में न तो पंजाब से ट्रांसपोर्ट आ रही है और न जा पा रही है। उन्होंने कहा कि सड़क मार्ग बंद होने से कामकाज बुरी तरह से ठप हो गया है। अंबाला में 30 हजार से ज्यादा लोग कपड़ा मार्केट में काम करते हैं। ऐसे में कारोबार न होने के कारण कर्मचरियो को सेलरी देना भी मुश्किल हो गया है।

व्यापारियों का कहना है कि हम तो किसानों और सरकार से यह अपील करते हैं कि सड़क मार्ग को जल्द से जल्द खुलवाया जाए, क्योंकि अगर ऐसे ही रोड बंद रहेगा तो अंबाला से पंजाब, जम्मू की तरफ माल सप्लाई नहीं हो पाएगा। व्यापारी इतना ज्यादा घाटा बर्दाश्त नहीं कर सकते। दूसरी तरफ रोड बंद होने से नौकरीपेशा लोगों को भी काफी परेशानी हो रही है। शंभू जाने के लिए भी घन्नौर से घूमकर जाना पड़ रहा है।

किसानों और सरकार को चाहिए कि आपसी मतभेद को समाप्त कर सड़क मार्ग को जल्द खोला जाए। पंजाब के 2 किसान संगठन एमएसपी समेत अन्य मांगों को लेकर 13 फरवरी से पंजाब-हरियाणा के अंबाला स्थित शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 13 फरवरी को दिल्ली की तरफ बढ़ने का फैसला किया था। लेकिन हरियाणा सरकार ने बॉर्डर पर ही किसानों को रोक दिया। किसानों को रोकने के लिए कई लेयर की बैरिकेडिंग और आंसू गैस के गोले दागे गए।

इसके बाद किसान बॉर्डर पर ही बैठ गए। 21 फरवरी को किसानों ने दिल्ली कूच क फैसला किया। इस दौरान झड़प में युवा किसान शुभकरण की मौत हो गई। इसके अलावा भी कई किसानों और पुलिस जवानों की बॉर्डर पर जान गई है। जिसके बाद से किसान लगातार बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं।

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