राष्ट्रीय

देश में महिलाओं को कब मिलेगा समान वेतन? पुरुष कमाते हैं 100 रुपये तो महिलाओं को मिलता है महज 40

नई दिल्ली
भारत समेत भारतीय उपमहाद्वीप के कई देशों में बार-बार महिलाओं को समान अधिकार और समान वेतन की बात होती है। लेकिन अभी तक यह सपना ही है। अभी देखिए ना, वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम (World Economic Forum) ने बीते दिनों ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स (Global Gender Gap Index) के आंकड़े जारी किए। इस रिपोर्ट ने भारत के लिए एक चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर किया है। इस इंडेक्स में भारत दो पायदान फिसल गया है। इंडेक्स के 146 देशों की सूची में भारत को 129वां स्थान मिला है। पिछले साल भारत इस सूची में 127वें स्थान पर था। इस साल भी आइसलैंड को सूची में पहला स्थान मिला है। वह दशकों से इस स्थान पर काबिज है।

बंगलादेश, नेपाल और श्रीलंका भी हमसे आगे

महिलाओं को वेतन देने में भारत तो बांग्लादेश (99), नेपाल (111), श्रीलंका (125) और भूटान (124) से भी पीछे छूट गया है। हां, पाकिस्तान जरूर हमसे पीछे है। पाकस्तान का इस सूची में 145वां स्थान है जो कि सूची के सबसे अंतिम पायदान पर स्थान पाए सूडान से सिर्फ एक पायदान ऊपर है। इससे एक स्पष्ट आंकड़ा सामने आया है जो दर्शाता है कि भारतीय महिलाएं पुरुषों द्वारा अर्जित प्रत्येक 100 रुपये पर केवल 40 रुपये कमाती हैं।

निम्नतम स्तर वाली अर्थव्यवस्था

रिपोर्ट के अनुसार, भारत आर्थिक समानता के निम्नतम स्तर वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसमें अनुमानित अर्जित आय में 30% से कम लैंगिक समानता दर्ज की गई है। इन देशों की सूची में बांग्लादेश, सूडान, ईरान, पाकिस्तान और मोरक्को भी शामिल हैं। इन देशों में श्रम बल भागीदारी दर में लैंगिक समानता का स्तर 50% से भी कम है।

इस मामले में हुआ है सुधार

WEF की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने साल 2024 में अपने लिंग अंतर gender gap को 64.1% तक कम कर लिया है। लेकिन, पिछले वर्ष के 127वें स्थान से गिरावट का कारण 'शैक्षिक प्राप्ति' और 'राजनीतिक सशक्तीकरण' मापदंडों में मामूली कमी आई है। डब्ल्यूईएफ ने कहा कि भारत का आर्थिक समता स्कोर पिछले चार वर्षों से ऊपर की ओर बढ़ रहा है। भारत माध्यमिक शिक्षा नामांकन के मामले में भी तरक्की हुई है। तभी तो यह लैंगिक समानता में पहले स्थान पर काबिज है। यह तृतीयक नामांकन (Tertiary enrolment) में 105वें, साक्षरता दर में 124वें और प्राथमिक शिक्षा नामांकन में 89वें स्थान पर है। तभी तो इससे शैक्षिक उपलब्धि उपसूचकांक (Educational attainment subindex) में 26वें से 112वें स्थान पर भारी गिरावट आई है।

राजनीति में बढ़ी हैं महिला शक्ति

भारत में इस समय हेड ऑफ दि स्टेट यानी राष्ट्रपति के पद पर एक महिला हैं। इसलिए, राजनीतिक सशक्तिकरण उपसूचकांक (Political empowerment subindex) में, भारत ने राज्य प्रमुख संकेतक (Head-of-state indicator) पर अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि, संघीय स्तर पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व में भारत अपेक्षाकृत कम स्कोर किया है। भारत को मंत्री पदों पर केवल 6.9% और सांसद में 17.2% का स्कोर मिला है। यह महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में 65वें स्थान पर है और पिछले 50 वर्षों में महिला/पुरुष राष्ट्राध्यक्षों की संख्या के मामले में यह 10वें स्थान पर है।

आर्थिक समता में कोई बदलाव नहीं

आर्थिक समता और अवसर उपसूचकांक (Economic parity and opportunity subindex) में यहां कोई बदलाव नहीं हुआ है। भारत साल 2023 के दौरान इस उपसूचकांक में 142 वें स्थान पर था। इस साला भी भारत का स्थान यही है। यह वैश्विक स्तर पर सबसे निचले में से एक है, जो कि शर्मनाम स्थिति को दिखाती है। भारत श्रम-बल भागीदारी दर पर 134वें और समान काम के लिए वेतन समानता पर 120वें स्थान पर है, जो पुरुषों और महिलाओं के बीच कमाई में पर्याप्त असमानताओं को दर्शाता है।

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