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दिल्ली तबादला नीति विवाद: केजरीवाल की लड़ाई में कांग्रेस साथ देगी या नहीं, अजय माकन के एक tweet ने कर दिया कन्फ्यूजन दूर

नई दिल्ली। कांग्रेस द्वारा सोमवार को दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थन करने की बात सामने आई थी। इसमें कहा गया कि कांग्रेस ने जुलाई में शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में केंद्र के कार्यकारी आदेश का विरोध करने का फैसला किया है। हालांकि इस संबंध में कांग्रेस के सीनियर लीडर और राज्यसभा मेंबर केसी वेणुगोपाल के ट्वीट पर पार्टी नेता अजय मकान के रीट्वीट ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। अजय माकन ने लिखा कि चारों ओर अफवाहें…मुझे उम्मीद है कि अब यह स्पष्ट हो गया है-Rumors around! I hope it stands clarified now.

 

दिल्ली में तबादल और नियुक्तियों को लेकर राजनीति विवाद पर कांग्रेस का बयान

दरअसल,  AAP ने प्रचार कर रखा है कि इस मामले में कांग्रेस उसके साथ है। हालांकि कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्री केसी वेणुगोपाल ने एक ट्वीट किया था। इसमें लिखा कि कांग्रेस पार्टी ने अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में दिल्ली सरकार की एनसीटी(राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम) की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया है। यह अपनी राज्य इकाइयों और अन्य समान विचारधारा वाले दलों से परामर्श करेगा।

वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी कानून के शासन में विश्वास करती है और साथ ही किसी भी राजनीतिक दल द्वारा राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ झूठ पर आधारित अनावश्यक टकराव, राजनीतिक विच-हंट और अभियानों को नजरअंदाज नहीं करती है।

दिल्ली में तबादला और नियुक्तियों को लेकर AAP का केंद्र से टकराव

दिल्ली की सत्ता में काबिज AAP इस मामले पर विभिन्न राजनीतिक दलों का समर्थन मांगती रही है। भाजपा अपर हाउस में यह बिल पास कराने के लिए बीजू जनता दल (बीजेडी) और वाईएसआरसीपी जैसे दलों का समर्थन लेना होगा, जिनके राज्यसभा में नौ-नौ सांसद हैं। जबकि एक संयुक्त विपक्ष के राज्यसभा में 111 सांसद हैं, सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगियों के पास लगभग समान संख्या में सांसद हैं।

हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। अध्यादेश के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने मीडिया से कहा, “आज भी हमारी यही राय है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही था। संविधान पीठ ने दिल्ली के मुद्दे पर विस्तृत फैसला दिया है और सरकार को इसका सम्मान करना चाहिए।”

इस बीच, कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि जब सरकार अध्यादेश को बदलने के लिए इसे संसद में लाएगी तो पार्टी बिल का विरोध कर सकती है। शर्मा ने कहा कि सरकार एक अध्यादेश लाई है और साथ ही सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले की समीक्षा की मांग की है।

दिल्ली का बॉस कौन- मुख्यमंत्री या उप राज्यपाल?

19 मई को मोदी सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जो सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के उस फैसले को रद्द करता है, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार के पास ही अधिकारियों के तबादले का अधिकार है। लेकिन केंद्र सरकार के अध्यादेश लाने से अब यह अधिकार फिर से राज्यपाल के पास ही रहेगा।

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