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राजस्थान में अनिता भदेल क्यों अचानक चर्चा में आईं, सीएम दावेदारों में एंट्री

जयपुर

राजस्थान की राजधानी जयपुर में आज भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में बीजेपी अपना मुख्यमंत्री चुनेगी। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए बीजेपी ने मुख्यमंत्री चुन लिया है और अब बारी राजस्थान की है। राजस्थान में कई बड़े नाम मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं लेकिन पार्टी के मध्य प्रदेश के फैसले के बाद लग रहा है कि यहां भी कोई चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है।

क्या सीएम बन सकती हैं अनिता भदेल?

राजस्थान में अजमेर दक्षिण से विधायक अनिता भदेल का नाम भी सीएम रेस में चल रहा है। वह 2003 से लगातार अजमेर दक्षिण सीट से जीतती हुईं आ रही हैं। माना जा रहा कि राजस्थान में अगर बीजेपी वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाती है तो अनिता भदेल पर पार्टी दांव लगा सकती है। मार्च में भाजपा विधायक अनिता भदेल को राजस्थान के 200 विधायकों में से सर्वश्रेष्ठ विधायक घोषित किया गया था। सूत्रों के अनुसार पार्टी में अनिता के नाम पर भी चर्चा हुई है। हालांकि आखिरी फैसला विधायक दल की बैठक में लिया जाएगा।

पांचवी बार विधायक चुनी गई और एक बार मंत्री रहीं अनिता भदेल ने अपने क्षेत्रवासियों से लगाव बनाए रखा है। वह अपने पुराने भजनगंज स्थित मकान पर ही रोजाना जनसुनवाई करती हैं। लोगों में उनकी लोकप्रियता काफी अधिक है और वह अपने क्षेत्र के लोगों के अलावा अन्य क्षेत्रों से आये लोगों की भी मदद करती रहती हैं।

माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश में ओबीसी मुख्यमंत्री चुनने के बाद राजस्थान में पार्टी दलित चेहरे पर दांव लगा सकती है। इससे पहले राजस्थान में बीजेपी की ओर से वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं। ऐसे में पार्टी किसी महिला चेहरे पर ही दांव लगाएगी। वर्तमान में बीजेपी की ओर से कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं है। अनिता भदेल दलित समुदाय से आती हैं, आरएसएस से जुड़ी रही हैं और महिला भी हैं तो पार्टी उनका नाम आगे कर चौंका सकती है।

सर्वेश्रेष्ठ विधायक का जीत चुकीं खिताब, जनता के बीच अच्छी छवि
पांच बार की विधायक अनिता भदेल भाजपा की अनुभवी नेता हैं और विवादों से दूर रहकर काम करती हैं। अनिता यादव अजमेर दक्षिण से 5वीं बार की विधायक हैं। 2022 के लिए उन्हें राजस्थान विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक घोषित किया गया। अनिता अपने आवास पर लगभग हर दिन 'जनता दरबार' लगाती हैं। जनता के बीच रहकर काम करने की वजह से उनकी छवि अच्छी है।

वसुंधरा की बनेंगी काट?
सीएम दावेदारों में वसुंधरा राजे का नाम अब भी मजबूत माना जा रहा है। करीब तीन दर्जन करीबी विधायकों के जीतने के बाद राजे ने पार्टी पर दबाव बनाने की हर मुमकिन कोशिश की है। हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि राजे को मौका दिया जा सकता है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जिस तरह पुराने चेहरों को दरकिनार कर नए नेताओं को सीएम और डिप्टी सीएम बनाया गया है। राजस्थान में भी यही ट्रेंड कायम रहने की संभावना बढ़ गई है। माना जा रहा है कि अनिता को पार्टी वसुंधरा की काट के रूप में इस्तेमाल कर सकती हैं।

वसुंधरा का नाम अभी भी आगे

वैसे तो राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे वर्तमान में सबसे बड़ी दावेदार हैं और वह सीएम पद की रेस में सबसे आगे चल रही हैं। लेकिन जिस तरीके से बीजेपी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री चुना है, उसके हिसाब से देखा जाए तो ऐसा लग रहा है कि पार्टी किसी ऐसे नेता को सीएम पद के लिए चुनेगी जो रेस में है ही नहीं।

सूत्र यह बताते हैं कि जो सीएम वही बनेगा जो 2024 में जीत की गारंटी देगा। 2024 लोकसभा चुनाव में करीब 5 महीने बचे हैं। ऐसे में पार्टी सारे जातिगत समीकरणों को भी ध्यान में रखेगी। राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए वसुंधरा राजे के अलावा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, किरोड़ी लाल मीणा, बाबा बालकनाथ, राजेंद्र राठौड़ समेत कई बड़े नाम हैं।

छत्तीसगढ़ और एमपी में बीजेपी ने चौंकाया

छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री चुना है, जो आदिवासी समाज से आते हैं। वह छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे। मध्य प्रदेश में बीजेपी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री चुना है, जो की यादव ओबीसी समाज से आते हैं और वह मध्य प्रदेश के दूसरे यादव मुख्यमंत्री होंगे। पार्टी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के जरिए अन्य राज्यों के भी जातिगत समीकरण को साधने का प्रयास किया है। इसी प्रकार से अब राजस्थान की बारी है।

राजस्थान के लिए बीजेपी ने तीन पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडे भाजपा की पर्यवेक्षक हैं और यही तीनों नेता विधायक दल की बैठक का नेतृत्व करेंगे और मुख्यमंत्री चुनेंगे।

 

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