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नीति आयोग की ‘आकांक्षी-ब्लॉक’ योजना से खरगोन के झिरन्या में 63 तालाब होंगे पुनर्जीवित

भोपाल
प्रदेश में 30 मार्च से जल गंगा संवर्धन अभियान संचालित किया जा रहा है। अभियान का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन से 30 मार्च को किया था, जो 30 जून तक जारी रहेगा। अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की नदियों, तालाबों, झीलों, पुराने कुओं, बावड़ियों और जलधाराओं को सहेज कर उन्हें पुनर्जीवन देना है। नदियों, नालों, तालाबों, कुओं और बावड़ियों एवं अन्य जल स्रोतों की गाद निकासी, सफाई, सीमांकन और पुनर्जीवन की कार्य योजना बनाई गई है।

जल गंगा संवर्धन अभियान को केन्द्रीय नीति आयोग की जल संरक्षण और सतत कृषि को बढ़ावा देने की पहल ‘आकांक्षी -ब्लॉक’ योजना से बड़ा लाभ मिला है। खरगोन जिले के झिरन्या को देश के 25 चिन्हित आकांक्षी ब्लॉक्स में शामिल किया गया है।

झिरन्या में जल निकायों को पुनर्जीवित किया जाएगा। झिरन्या ब्लॉक के 63 तालाबों को चिन्हित कर मानसून से पहले उनका गहरीकरण और गाद निकासी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इससे वर्षा जल का अधिकतम संचयन संभव हो सकेगा और जल संकट से राहत मिलेगी। तालाबों से निकलने वाली उपजाऊ गाद किसानों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। इससे खेतों की उर्वरता में सुधार होगा और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता में कमी आएगी। गाद को खेत तक ले जाने का व्यय किसान स्वयं वहन करेंगे। आकांक्षी-ब्लॉक परियोजना में आगा खान फाउंडेशन को तकनीकी सहयोगी के रूप में जोड़ा गया है। फाउंडेशन की जल निकाय प्रबंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञता का लाभ भी परियोजना को मिलेगा।

आप पानी बचाओ, पानी आपको बचाएगा
आप पानी बचाओ, पानी आपको बचाएगा। सरकार और समाज दोनों मिलकर मुख्यमंत्री डॉ. यादव के जल संरक्षण के संकल्प को सिद्धि तक पहुंचा सकते हैं। शहडोल में जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत जिले की समस्त जनपद पंचायतों, ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में नागरिक श्रमदान कर रहे हैं। शहडोल को घरौला मोहल्ला स्थित तालाब की सफाई और गहरी करण में स्व-सहायता समूह की जल मित्रों ने श्रमदान किया।

छतरपुर के पहाड़ गांव में ‘ललई की बेर हनुमान जी’ मंदिर की बावड़ी में हुई सफाई
छतरपुर में जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत जल स्रोतों के जीर्णोद्धार एवं साफ सफाई की श्रृखला में जन अभियान परिषद की सहायता से पहाड़ गांव में ललई की बेर हनुमान जी के मंदिर प्रांगण में बनी बावड़ी की साफ-सफाई की गई। परिषद ने मंदिर प्रांगण में ही जन जागरूकता के लिए स्थानीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में ग्रामीणों को जल गंगा संवर्धन अभियान के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। छिंदी स्थित माँ सीता रेवा नदी के उद्गम स्थल पर किया गया स्वच्छता कार्य

श्रमदान से मां सीता रेवा नदी के उद्गम कुंड का हुआ गहरीकरण
छिंदवाड़ा के तामिया विकासखंड में गांव छिंदी स्थित मां सीता रेवा नदी के उद्गम स्थल पर वैदिक मंत्रों से पूजा-अर्चना के बाद उद्गम कुंड की जन सहयोग से सफाई की गई। कुंड में जमा गाद और मलबे को मानव श्रृंखला बनाकर निकाला गया। श्रमदान के बाद स्थानीय श्रमदाताओं को जन सहभागिता,श्रमदान और जल संरक्षण की शपथ दिलाई गई। पौराणिक आख्यानों के अनुसार मां सीता के आंसू जमीन पर गिरने से माँ सीता रेवा नदी का उद्गम हुआ। इसका जल बड़ा ही स्वादिष्ट है। क्षेत्र वासियों के लिए यह नदी जीवनदायी और आस्था से जुड़ी हुई है। नर्मदा परिक्रमा करने वाले सभी सहायक नदियों की भी परिक्रमा करते हुए सीता रेवा के उद्गम स्थल पर पूजा कर यहां लगे इमली के पेड़ के नीचे विश्राम करते हैं। इसके बाद दूधी नदी के दर्शन कर परिक्रमा आगे बढ़ाते हैं।

बुरहानपुर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने आकर्षक रंगोली बनाकर दिया जल संरक्षण का संदेश
बुरहानपुर नगर परिषद शाहपुर में जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने आकर्षक रंगोली बनाकर अभियान में भागीदारी की। रंगोली के माध्यम से नागरिकों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने ‘‘जल है तो कल है’’, ‘‘जल बचाओ एवं वृक्ष बचाओ’’ जैसी विषयों की रंगोली सजा कर जागरूकता का संदेश दिया गया। नागरिकों को अनावश्यक रूप से जल प्रवाहित नहीं करने, दैनिक जीवन में पानी का उचित उपयोग करने और मकानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और सोकपिट बनाकर वर्षा जल संचयन के विषय में जागरूक बनाया जा रहा है।

श्रमदान कर मोक्ष धाम नदी की सफाई
जल गंगा संवर्धन अभियान में छिंदवाड़ा के गांव डूंगरिया में मोक्ष धाम के नदी पर स्वच्छता अभियान संचालित किया या गया। नदी स्वच्छता अभियान में सम्मिलित हुये ग्रामीणों को जल संरक्षण की की शपथ दिलाई गई।

जबलपुर में नर्मदा स्वच्छता के लिए श्रमदान
जबलपुर में जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत जन अभियान परिषद ने मां नर्मदा की निर्मलता और स्वच्छता के लिए तिलवारा घाट पर श्रमदान किया। श्रमदान में सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्वैच्छिक संगठनों, नवांकुर संस्थाओं के मेंटर्स और सामुदायिक नेतृत्व पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों ने भाग लिया।

 

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