सम्राट मिहिर भोज के बारे में ऐतिहासिक तथ्यों की जांच करेगी 7 सदस्य कमेटी, चार हफ्ते में सौंपेगी रिपोर्ट
चंडीगढ़ : हरियाणा के कैथल से शुरू हुए सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा अनावरण विवाद को लेकर प्रदेश में राजपूत और गुर्जर समाज में तलवारें खिंची हुई हैं. वहीं सरकार इस मामले को लेकर एक्शन में है और जल्द से जल्द इस विवाद का समाधान करना चाहती है.
सरकार ने जांच कमेटी बनाई : सम्राट मिहिर भोज पर विवाद बढ़ता देख हरियाणा सरकार इस मसले के समाधान के लिए सामने आई है. राजपूत गुर्जर समाज के बीच चल रही इस तनातनी को देखते हुए सरकार ने इसके समाधान के लिए एक 7 सदस्यीय जांच कमेटी बनाने का ऐलान किया है, जो सम्राट मिहिर भोज से जुड़े तथ्यों की जांच करेगी.
कमेटी बनाने पर क्या सोचते हैं राजनीतिक दल ? : वहीं इस पूरे मामले पर राज्य के अलग-अलग दलों की प्रतिक्रिया भी सामने आई है.
बीजेपी : बीजेपी की बात करें तो इस पूरे मामले पर राज्य सरकार के मीडिया सचिव प्रवीण अत्रे कहते हैं कि हरियाणा सरकार सभी विवादों का बातचीत के जरिए समाधान करने में विश्वास रखती है. फिर चाहे सामाजिक मुद्दे हो फिर कोई और. जहां तक सम्राट मिहिर भोज विवाद की बात है तो सरकार इसमें कोई राजनीति नहीं कर रही है, बल्कि गुर्जर और राजपूत समाज के बीच किसी भी तरह का कोई विवाद न हो और दोनों समाज के लोग मिल बैठकर आपसी भाईचारे को कायम रखते हुए इस पर आगे बढ़े, सरकार की यही कोशिश है. इसी को देखते हुए सरकार ने 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है.
कांग्रेस : इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि सरकार ने इस मसले के समाधान के लिए कमेटी बनाई है, ये अच्छी बात है. लेकिन इस सरकार में किसी भी विवाद को समय पर निपटाने की कोशिश नहीं होती है. उन्होंने आशा वर्करों का उदाहरण देते हुए कहा कि 73 दिनों तक वे धरना प्रदर्शन करती रही. उसके बाद ही सरकार की नींद खुली और उनके साथ फिर बातचीत की. वहीं उन्होंने कहा कि सरकार ने जो कमेटी बनाई है, उसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक होनी चाहिए.
इनेलो : इधर इस मामले पर इंडियन नेशनल लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सतवीर सैनी कहते हैं कि अभी इस पर कुछ भी कहना सही नहीं होगा. कमेटी किस आधार पर और किन तथ्यों पर इसकी जांच करेगी, और उसकी क्या रिपोर्ट आती है, उसके बाद ही वे इस पर कुछ कह पाएंगे.
क्यों बनानी पड़ी कमेटी ? : अब सवाल उठता है कि सरकार को सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा अनावरण विवाद को लेकर आखिर कमेटी क्यों बनानी पड़ी. इसके पीछे बड़ी वजह है राजपूतों और गुर्जरों के बीच इस पूरे मामले को लेकर खिंचती तलवारें, जो राज्य सरकार के लिए परेशानी का सबब है. इसके अलावा पिछले दिनों प्रतिमा विवाद से नाराज़ कैथल में राजपूत समाज ने महाकुंभ का आयोजन किया और बड़ा ऐलान करते हुए कहा था कि वे लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेताओं को राजपूत बाहुल्य गांवों में घुसने नहीं देंगे. उन्होंने सरकार पर राजपूत समाज का इतिहास छीनने का आरोप भी लगाया था और कहा था कि अगर समाज बीजेपी की सरकार बना सकता है तो वो इस सरकार को हटा भी सकता है. चुनाव से पहले सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द सारे विवादों का निपटारा हो जाए.
क्या है पूरा विवाद ? : कैथल के ढांड चौक पर 20 जुलाई 2023 को सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा का अनावरण किया गया था. इस प्रतिमा के आगे नाम में गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज महान लिखा गया था. गुर्जर समाज के लोग मिहिर भोज को अपना पूर्वज मानते हैं. अनावरण का ये कार्यक्रम गुर्जर समाज के लोग आयोजित कर रहे थे. इसलिए गुर्जर समाज ने मिहिर भोज को गुर्जर प्रतिहार सम्राट लिखा था. वहीं दूसरी तरफ राजपूत समाज के लोग मिहिर भोज पर अपना दावा ठोंक रहे हैं . राजपूत नेताओं का कहना है कि मिहिर भोज राजपूत राजा थे और उन्हें नाम के आगे गुर्जर लिखना कतई गवारा नहीं है.