बीएचयू के शोधकर्ताओं ने ट्राइकोडर्मा से फसलों में आनुवांशिक प्राइमिंग को खोजा
वाराणसी । एक्शन इंडिया न्यूज
फसलों को खेतों में विभिन्न प्रकार की जैविक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से अक्सर उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लगातार बढ़ती वैश्विक आबादी के वर्तमान परिदृश्य में, फसल उत्पादकता को बढ़ाने और खाद्यान्न की मांग से जूझने के लिए स्थायी दृष्टिकोण का उपयोग कर पौधों के स्वास्थ्य की रक्षा बेहद जरूरी है। रासायनिक फसल सुरक्षा तकनीकों के उपयोग पर निर्भरता बढ़ने से कई पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चुनौतियां भी उत्पन्न होती हैं।
ऐसे में प्राइमिंग एक कारगर रणनीति है। पौधों के संदर्भ में प्राइमिंग वह प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत पौधों को किसी भी प्रकार के जीवाणुओं के हमले से बचाने के तैयार किया जाता है, जिसके फलस्वरूप हमला होने की सूरत में पौधों में अच्छी प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो पाती है।
इस संदर्भ में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन किया है। विभाग में सहायक आचार्य डॉ. प्रशांत सिंह और उनके मार्गदर्शन में शोध कर रही छात्रा मेनका तिवारी तथा स्नातकोत्तर छात्र रजत सिंह के समूह ने ट्राइकोडर्मा को एक प्राइमिंग एजेंट के रूप में पहचाना और पहली बार गेहूँ में आनुवंशिक प्राइमिंग का पता लगाया। इस खोज को प्रतिष्ठित शोध पत्रिका (Q1), फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस (IF 6.63) में प्रकाशित किया गया है।