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झारखंड की निलंबित IAS अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, मनी लॉन्डरिंग मामले में दिया झटका

नई दिल्ली.

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने धनशोधन मामले में झारखंड कैडर की अधिकारी की जमानत याचिका खारिज कर दी है।  शीर्ष अदालत ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा सिंघल की जमानत से इनकार करने के आदेश में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यह एक असाधारण मामला है।

न्यायमूर्ति संजीव वर्मा और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष के 17 में से 12 गवाहों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पूछताछ की गई है। अदालत ने उम्मीद जताई कि मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी हो जाएगी। कोर्ट ने निलंबित आईएएस अधिकारी से कहा कि जमानत के लिए कुछ समय और इंतजार करें क्योंकि यह कोई सामान्य नहीं है बल्कि असाधारण मामला है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में कुछ लोग गंभीर रूप से गलत हैं और हमें उम्मीद है कि मुकदमा तेजी से आगे बढ़ेगा। कोर्ट ने कहा कि अगर यह मुकदमा लंबा चलता है या परिस्थिति में कोई बदलाव होता है तो पूजा सिंघल फिर से जमानत याचिका दाखिल कर सकती हैं।

‘687 दिन की हिरासत के दौरान 481 दिन अस्पताल में बिताए’
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से अदालत में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पूजा सिंघल ने हिरासत में रहने के दौरान अधिकतर समय अस्पताल में बिताया है। उन्होंने कहा कि कुल 687 दिनों की हिरासत के दौरान सिंघल ने 481 दिन हॉस्पिटल में बिताए। कोर्ट में पूजा सिंघल की तरफ से पेश हुए वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि रांची की जिस बिरसा मुंडा जेल में में सिंघल को हिरासत में रखा गया है, वहां पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। पीठ ने अग्रवाल से कहा कि आरोप काफी गंभीर हैं और बरामद किए गए कैश की मात्रा भी अधिक है। अदालत ने कहा कि अगर यह मामला गंभीर नहीं होता तो सिंघल को पहले ही जमानत दे दी जाती। 

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