मणिपुर। मणिपुर में दो महिलाओ को निर्वस्त्र कर परेड कराने के मामले ने तूल पकड़ लिया है, पूरे देश में इसकी निंदा जारी है। कुकी और मैतेई दोनों समुदाय के बीच नफरत बढ़ती जा रही है। पूरा राज्य हिंसा की आग में झुलस रहा है। मामले में कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं।
मणिपुर में हिंसा के बाद अब पड़ोसी राज्य में भी लोगों को डर सताने लगा है। कई लोग डर की वजह से पलायन करने को मजबूर हैं। अपना घर, काम छोड़कर जा रहे हैं। उग्रवादी समूहों ने मिजोरम के मैतेई लोगों को राज्य छोड़कर भगाने की धमकी दे रहे हैं। वहां के लोग अपनी जान बचाने के लिए पलायन करने को मजबूर हैं।
आपको बता दें, उग्रवादी समूहों की धमकी मिलने के बाद रविवार को 78 और शनिवार को 65 लोग मिजोरम से मणिपुर जा चुके हैं। साथ ही मैतेई समुदाय से जुड़े 41 लोग असम के कछार जा चुके हैं। धमकी देने के बाद मिजोरम में हाई अलर्ट है।
क्या चल रहा मणिपुर में…ऐसे जमझें
19 जुलाई को वीडियो वायरल होने के बाद पूरे देश में निंदा की गई, दो महिलाओ को निर्वस्त्र कर परेड कराने के बाद लोगों में आक्रोश है। ये घटना 4 मई की बताई जार ही है, लेकिन वीडियो बाद में सामने आया, जिसके बाद 21 जून को मामला दर्ज कराया गया।
कुकी और जोमी समुदाय से जुड़े संगठनों ने 23 जुलाई को सात कुकी महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने का दावा किया था, दावे में कहा गया कि 27 महिलाओं को अब तक शिकार बनाया जा चुका है। सात से रेप, आठ महिलाओं की हत्या, दो को जिंदा जलाकर हत्या कर दी, पांच महिलाओं को गोली मारी और तीन को भीड़ ने मार डाला।
27 महिलाओं की हत्या करने के मामले को लेकर सीएम एन, बीरेन सिंह ने दावा खारिज कर दिया। साथ ही दावा किया कि हिंसा से जुड़े 6068 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसमें सिर्फ एक रेप का मामला है।
मणिपुर में हिंसा होने के बाद मिजोरम में मैतेई समुदाय से जुड़े लोग वहां से भागने को मजबूर हैं। मिजोरम के पूर्व उग्रवादी समूह ने मैतेई समुदाय के लोगों को राज्य छोड़ने की धमकी दी है, तब से वहां डर का माहौल बना हुआ है।
ये इलाके हैं प्रभावित-
मणिपुर में तीन मई से इंटरनेट सेवा बंद है और कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है। अगर प्रभावित इलाकों की बात करें तो चुराचांदपुर, तोरबुंग, थौबाल जिला, मणिपुर के पहाड़ी इलाके आदि हैं।
जानिए मैतेई की क्या हैं मांगें
आपको बाता दें, मैतेई समुदाय की आबादी मणिपुर में 53 फीसदी है। मैतेई गैर जनजाति समूह है। कुकी और नगा की आबादी लभगभ 40 फीसदी है।
मैतेई की आबादी ज्यादा है फिर भी वह सिर्फ घाटी में ही रह सकते हैं, जिसमें मणिपुर के 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पहाड़ी हैं जिसमें 10 फीसदी ही घाटी शामिल है।
मैतेई समुदाय की राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं। 90 फीसदी से ज्यादा मणिपुर का इलाका पहाड़ी है। सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है। पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है।
मणिपुर में एक कानून है, इस कानून के तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं, लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं, जिस वजह से मणिपुर हिंसा के दौर से गुजर रहा है।
हिंसा होने की सबसे बड़ी वजह यही है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है, इसी को लेकर मैतेई समुदाय में आक्रोश है।