हरियाणा

एचएयू में कृषि विकास मेले का कृषि मंत्री जेपी दलाल करेंगे उद्घाटन

चंडीगढ़/टीम एक्शन इंडिया
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में 9 मार्च से तीन दिवसीय हरियाणा कृषि विकास मेला-2023 का आयोजन किया जाएगा। मेले के पहले दिन 10 मार्च को हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल मुख्यातिथि होंगे। इस अवसर पर शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता भी मौजूद रहेंगे। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि मेले के दूसरे दिन 11 मार्च को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी मुख्य अतिथि होंगे, जबकि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री चौधरी रणजीत सिंह सम्मानित अतिथि के रूप में व डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा, इस अवसर पर श्रम राज्य मंत्री अनूप धानक, आदमपुर के विधायक भव्य बिश्नोई व हांसी के विधायक विनोद भ्याना भी मौजूद रहेंगे। उन्होंने बताया कि मेले के अंतिम दिन 12 मार्च,2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल मेले में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करेंगे। इसके अलावा, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण सचिव मनोज आहूजा मौजूद रहेंगे। इसके अतिरिक्त, नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम, बरवाला के विधायक जोगीराम सिहाग व रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा भी उपस्थित रहेंगे। साथ ही कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्ति मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा भी उपस्थित रहेगी। उन्होंने बताया कि 10 मार्च को मेले का मुख्य विषय सटीक खेती और फसल विविधीकरण, 11 मार्च को मिलेट एक सुपर फूड और प्राकृतिक खेती व 12 मार्च को कृषि नवाचार मुख्य विषय रहेंगे। उन्होंने बताया कि किसान जारी लिंक पर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। मेले में तीनों दिन पंजीकृत किसानों का लकी ड्रा निकाला जाएगा, जिसमें इनाम के तौर पर उन्हें ट्रैक्टर जीतने का मौका मिलेगा। मेले में किसानों को 30 लाख रुपये तक के इनाम वितरित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा बुवाई का मौसम शुरू होने से पहले जलभराव वाली कृषि भूमि की पहचान कर बाढ़ या रुके हुए पानी की समस्या से निपटने के लिए योजना तैयार करने के लिए दिए गए निदेर्शों के चलते मुख्य सचिव संजीव कौशल ने आज कृषि एवं किसान कल्याण और सिचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक की। मुख्य सचिव ने राज्य में ऐसे क्षेत्रों की मैपिंग पूरी करने की समय सीमा भी निर्धारित की। उन्होंने अधिकारियों को कृषि तथा सिंचाई विभाग द्वारा वर्ष में दो बार अर्थात प्रत्येक वर्ष 15 मई और 31 अक्टूबर तक जलभराव वाली भूमि का प्रमाणीकरण कराने के निर्देश भी दिये। प्रमाणीकरण उस भूमि के आकलन और दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया होती है।
जो काफी हद तक बाढ़ग्रस्त या जलमग्न हो। इस प्रक्रिया में आम तौर पर किसी योग्य पेशेवर, यानी जलविज्ञानी या सिविल इंजीनियर द्वारा साइट का निरीक्षण किया जाता है। वह भूमि की स्थलाकृति, जल-स्रोतों से इसकी निकटता और ऐसे अन्य कारकों का आकलन करता है, जो बाढ़ या बाढ़ के अन्य रूपों के लिए इसकी संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकते हैं। इस आकलन के परिणामों का एक रिपोर्ट या प्रमाणीकरण के अन्य रूप में दस्तावेजीकरण किया जाता है, जिसका भूमि उपयोग और विकास से संबंधित निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है।
कौशल ने अधिकारियों को राज्य में उन क्षेत्रों का आकलन करने के भी निर्देश दिए, जहां भूजल सतह पर आ जाता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे भारी बारिश और अचानक बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पन्न होने वाली जल भराव की समस्या पर नियमित रूप से निगरानी रखें। उल्लेखनीय है कि यह बैठक मुख्यमंत्री द्वारा सीएम विंडो के माध्यम से प्राप्त जन शिकायतों की समीक्षा बैठक के फॉलोअप के रूप में बुलाई गई थी ।

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