
महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा फेर बदल हो गया है। यहां एनसीपी नेता अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत करने के बाद महाराष्ट्र की शिंदे सरकार का दामन थाम लिया है। उन्होंने राजभवन में 2 जुलाई को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली है।
अजित पवार के अलावा एनसीपी के कुल नौ विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। इसमें धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे, हसन मुश्रीफ, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल शामिल हैं। माना जा रहा है कि अजित पवार के साथ उनकी पार्टी के कुल 18 विधायक हैं, जिनका उन्हें समर्थन मिल गया है। अजित पवार के गुट ने महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना को समर्थन दे दिया है, जिसके बाद पार्टी अधिक मजबूत हो गई है।
सूत्रों ने बताया कि पटना में हाल में हुई विपक्ष की बैठक में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले की मौजूदगी से अजित पवार और उनके समर्थक खफा थे। राजभवन में मौजूद महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि अजित पवार ने निचले सदन में विपक्ष के नेता (एलओपी) के पद से इस्तीफा दे दिया है और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है।
राजभवन में विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल और राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद थे। भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने दावा किया कि राकांपा के 40 विधायकों (कुल 53 में से) ने राज्य सरकार का समर्थन किया है। राज्य में विधानसभा चुनाव अगले साल प्रस्तावित है।
अजित पवार हैं खफा
बता दें कि एनसीपी की राज्य इकाई के प्रमुख के तौर पर अजित पवार को तवज्जो नहीं दी गई थी। इस कारण अजित पवार अपने चाचा शरद पवार और पार्टी के शीर्ष नेताओं से खफा है। माना जा रहा है कि अजित पवार पटना में विपक्षी एकता बैठक में राहुल गांधी के साथ मंच साझा करने और सहयोग करने के शरद पवार के एकतरफा फैसले से राजी नहीं थे।
यह राजनीतिक घटनाक्रम शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना (तब अविभाजित) के खिलाफ विद्रोह के एक साल बाद सामने हुआ है, जिसके कारण महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी। शिंदे ने 30 जून, 2022 को मुख्यमंत्री पद और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।