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एशियन गेम्स: बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट को मिल गई बिना ट्रायल के एंट्री, योगेश्वर दत्त ने खड़े किए सवाल

चंडीगढ़: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की तदर्थ समिति ने ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट को बड़ी राहत दी है. WFI की तदर्थ समिति ने इन दोनों खिलाड़ियों को एशियाई खेलों के लिए बिना ट्रायल सीधे प्रवेश दे दिया है. गौर रहे कि राष्ट्रीय मुख्य कोच की सहमति के बिना ये निर्णय लिया गया है. ऐसे में इस फैसले पर अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त ने सवाल खड़े किए हैं.

WFI की तदर्थ समिति के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए योगेश्वर दत्त ने ट्विटर पर लिखा है, ‘IOA द्वारा एडहॉक कमेटी का गठन कुश्ती संघ के खेल और विकास संबंधी कामों को पारदर्शी तरीके से करने के लिए किया गया था. आज निर्वाचित एडहॉक कमेटी ने अक्टूबर महीने में चीन में होने वाले एशियन खेलों के लिए सिलेक्शन नियम घोषित किए हैं, जिसमें बताया गया है कि पुरुषों के 65 किग्रा और महिलाओं के 53 किग्रा भार वर्ग में खिलाड़ियों का चयन पहले ही कर लिया गया है.’

योगेश्वर दत्त ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुआ लिखा है, ‘यह कैसा निर्णय है जिसमें केवल दो भार वर्ग में चयन पहले ही कर लिया गया है. बाकी का ट्रायल से किया जाएगा. ना तो यह बताया गया कि किस नियम के तहत चुनाव किया गया है और ना यह कि क्या यह नियम सिर्फ 65 किग्रा पुरुष और 53 किग्रा महिलाओं के भार में ही कैसे लागू होता है. गजब की बात यह है कि अगर चुनाव हो ही गया है तो खिलाड़ियों के नाम गुप्त क्यों रखे गए हैं. वास्तव में एडहॉक कमेटी का यह निर्णय ना तो पारदर्शी है और ना ही कुश्ती के उत्थान के लिए. यह भारत की कुश्ती और युवा खिलाड़ियों के भविष्य को अंधकार में धकेलने की राह है. किस दबाव में यह निर्णय किया जा रहा है जो हर उभरते और यहां तक कि मौजूदा ओलंपिक विजेता पहलवानों के साथ तक भेदभाव कर रहा है.’

बता दें कि तदर्थ समिति ने 23 सितंबर को चीन के हांगझोऊ में होने वाले एशियाई खेलों के लिए कुश्ती टीम का चयन करने के लिए ट्रायल से 4 दिन पहले यह निर्णय लिया. ग्रीको-रोमन और महिलाओं के फ्रीस्टाइल ट्रायल शनिवार, 22 जुलाई को होने हैं, जबकि पुरुषों के फ्रीस्टाइल ट्रायल रविवार, 23 जुलाई को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में होने वाले हैं. लेकिन, लेकिन से पहले 65 और 53 किलोग्राम में 2 खिलाड़ियों के नाम पर पहले से मुहर लगाने पर विवाद बढ़ने लगा है.

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