दृष्टिबाधित बेटी की प्रतिभा ने रच दिया इतिहास
- आरकेएमवी की पहली दृष्टिबाधित छात्रा अब वहीं बनी सहायक प्रोफ़ेसर
शिमला। आंखों में रोशनी का न होना मुस्कान के हौसलों को परास्त नहीं कर सका। उसकी प्रतिभा, लगन और कड़ी मेहनत ने एक और इतिहास रच दिया है। प्रदेश के प्रतिष्ठित राजकीय कन्या महाविद्यालय (आरकेएमवी) के इतिहास में पहली दृष्टिबाधित छात्रा होने का गौरव प्राप्त करने के बाद अब वह वहां पहली दृष्टिबाधित सहायक प्रोफेसर बन गई है। उसने आरकेएमवी में संगीत की सहायक प्रोफेसर का कार्यभार संभाल लिया है।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव की उपस्थिति में मुस्कान ने आरकेएमवी की प्रिंसिपल डॉ. रुचि रमेश के समक्ष पदभार संभाला। विख्यात युवा गायिका, भारतीय चुनाव आयोग की ब्रांड एंबेसडर और प्रदेश विश्वविद्यालय से संगीत में पीएचडी कर रही मुस्कान की सफलता पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, एडवोकेट जनरल अनूप रतन, कुलपति प्रोफसर एसपी बंसल और प्रिंसिपल डॉ रुचि रमेश ने बधाई दी है।
बता दें कि शिमला जिले के दूरदराज क्षेत्र चिड़गांव के गांव संदासली के किसान जयचन्द और अम्बिका देवी की प्रतिभाशाली संतान मुस्कान ने बचपन से ही अपने हौसले को बुलंद रखा। माता-पिता और परिवार के सहयोग ने उसे कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वह दृष्टिबाधित है और परिवार पर बोझ है।
शुरुआती पढ़ाई कुल्लू से करने के बाद मुस्कान ने शिमला के पोर्टमोर स्कूल से माता की परीक्षा 2012 में बहुत अच्छे अंको से उत्तीर्ण की। उसके बाद वह 2013 में आरकेएमवी सात दशकों के इतिहास में वहां पहली बार दाखिला लेने वाली 5 दृष्टिबाधित छात्राओं में से एक थी।
उमंग फाउंडेशन ने मुस्कान समेत इन सभी छात्राओं को मेरिट स्कॉलरशिप प्रदान की थी। इसी संस्था की सहायता से उसने देश के पांच अन्य विद्यार्थियों के साथ 10 वर्ष पूर्व पहली बार दिल्ली के नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड से कंप्यूटर का कोर्स भी किया।