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दिल्ली HC ने खारिज की कांग्रेस की याचिका, IT को देने ही होंगे 523 करोड़?

नई दिल्ली

दिल्ली हाईकोर्ट से कांग्रेस पार्टी को झटका लगा है। कोर्ट ने गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें साल 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए आयकर विभाग के द्वारा 523 करोड़ की मांग को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा और न्यायमूर्ति पुरूषेन्द्र कुमार कौरव की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की।

आपको बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने लोकसभा चुनाव से महज तीन हफ्ते पहले कांग्रेस पार्टी से 523.87 करोड़ रुपये का टैक्स मांग लिया है।

आपको बता दें कि इससे पहले 25 मार्च को कोर्ट ने कांग्रेस द्वारा दायर तीन याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि राजनीतिक दल ने मूल्यांकन पूरा होने का समय समाप्त होने से कुछ दिन पहले अदालत का रुख करने का विकल्प चुना है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आयकर विभाग के अधिकारियों ने इनकम टैक्स एक्ट के तहत कांग्रेस की आय की आगे की जांच के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत जुटाए हैं।

कोर्ट ने बीते आठ मार्च को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा था। इस आदेश में  साल 2018-19 के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया टैक्स वसूली के लिए राजनीतिक दल को जारी नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था।

इनकम टैक्स की मांग से कांग्रेस बेहाल

अब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का कहना है कि 523.87 करोड़ रुपये की भारी रकम से पार्टी की वित्तीय स्थिति और खराब हो जाएगी। अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में तन्खा ने अफसोस जताते हुए कहा, 'आम चुनाव की पूर्व संध्या पर 135 करोड़ रुपये की राशि को जब्त करके हमें पंगु बनाकर भी वो संतुष्ट नहीं हैं और उससे भी बड़ा झटका देना चाहते हैं ताकि हम और भी कमजोर हो जाएं। लेकिन अब हमें पंगु करने के लिए क्या बचा है?'

कांग्रेस पार्टी 135 करोड़ रुपये की राशि को जब्त करने से रोकने के लिए आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) से गुहार लगाई थी। हालांकि, ट्राइब्यूनल ने आयकर विभाग की कार्रवाई को सही करार देते हुए कांग्रेस को राहत देने से इनकार कर दिया था। फिर दिल्ली हाई कोर्ट ने भी 22 मार्च के आदेश में कांग्रेस को झटका देते हुए आयकर विभाग के तलाशी अभियान के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी।

छापेमारी में पकड़ी गई कांग्रेस की गड़बड़ी

आयकर विभाग ने 7 अप्रैल, 2019 को 52 स्थानों पर छापे मारे थे। वहीं, निर्वाचन आयोग ने भी टैक्स धोखाधड़ी के मामले की सीबीआई जांच का निर्देश दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने छापे के दौरान एकत्र किए गए सबूतों का संज्ञान लिया। छापेमारी में इस बात का सबूत हासिल हुआ था कि एमईआईएल समूह से कांग्रेस पार्टी को चंदा दिया था। अब जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इलेक्टोलर बॉन्ड्स की जानकारियां सार्वजनिक की गईं तो पता चला कि यह ग्रुप राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। इसने अक्टूब-नवंबर 2023 में कांग्रेस पार्टी को 110 करोड़ रुपये का चंदा दिया था। कांग्रेस के वकीलों ने दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 860 करोड़ रुपये खर्च किए।

कांग्रेस के एक और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी कहा है कि उनकी पार्टी के पास चुनाव लड़ने के पैसे भी नहीं बचे हैं। मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के आवास पर पड़े छापे में जो सबूत मिले थे, उनमें दिग्विजय सिंह का भी नाम था। हालांकि, दिग्विजय सिंह का कहना है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इतनी भारी रकम की टैक्स डिमांड राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा, 'तथ्य यह है कि कांग्रेस के पास न तो विज्ञापन जारी करने के लिए फंड है और न ही लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को पैसे देने या नेताओं के लिए यात्रा करने के लिए। वे प्रमुख विपक्षी पार्टी के चुनाव अभियान को खत्म कर रहे हैं।'

 

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