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जलप्रलय: राजधानी दिल्ली में बाढ़ का खतरा, यमुना के जलस्तर ने तोड़ा 45 साल का रिकॉर्ड, कई इलाकों में धारा 144 लागू

नई दिल्ली। दिल्ली में बुधवार को यमुना नदी का जलस्तर रिकॉर्ड 207.55 मीटर पर पहुंच गया। इससे पहले 1978 में नदी का जलस्तर 207.49 मीटर पहुंचने का रिकॉर्ड था। सरकारी एजेंसियों ने यह जानकारी दी। केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के जल निगरानी पोर्टल के मुताबिक पुराने रेलवे पुल पर जलस्तर सुबह चार बजे 207 मीटर के निशान को पार कर गया, जो वर्ष 2013 के बाद पहली बार इस स्तर पर पहुंचा। दोपहर एक बजे जलस्तर 207.55 मीटर पर पहुंच गया। कृषि तथा बाढ़ नियंत्रण विभाग ने बताया कि नदी में जलस्तर और बढ़ने के आसार हैं। अधिकारियों ने बताया कि एहतियात के तौर पर दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी के बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में बुधवार को धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की है।

इस धारा के तहत एक स्थान में चार से अधिक लोगों के एक ही स्थान पर एकत्रित होने पर रोक होती है। दिल्ली में पिछले तीन दिन से यमुना में जलस्तर बढ़ रहा है। यह रविवार सुबह 11 बजे 203.14 मीटर से बढ़कर सोमवार शाम पांच बजे 205.4 मीटर हो गया। यह उम्मीद से 18 घंटे पहले खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया। नदी में जलस्तर सोमवार रात 206 मीटर के निशान को पार कर गया था। जिससे बाद बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था।

साथ ही पुराने रेलवे पुल को सड़क तथा रेल यातायात के लिए बंद कर दिया गया था। दिल्ली के जलमंत्री सौरभ भारद्धाज ने मीडिया को बताया कि दिल्ली सरकार स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ‘हम हालात पर नजर रख रहे हैं और सभी कदम उठाए जा रहे हैं।’ यमुना में जलस्तर बढ़ने की हालत में पानी राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में जाने से रोकने के लिए तटबंध बनाए जा रहे हैं। दिल्ली में 1924, 1977, 1978, 1995, 2010 और 2013 में भीषण बाढ़ आई थी। एक शोध के अनुसार, 1963 से 2010 तक बाढ़ के आंकड़ों के विश्लेषण से सितंबर में बाढ़ आने की बढ़ती प्रवृत्ति और जुलाई में घटती प्रवृत्ति का संकेत मिलता है।

‘साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स, पीपुल’ (एसएएनडीआरपी) के सहायक समन्वयक भीम सिंह रावत ने दिल्ली में यमुना के जल स्तर में बेतहाशा वृद्धि के लिए गाद जमने के कारण नदी तल के ऊंचा होने को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने ‘एक न्यूज एजेंसी से कहा ‘ तल की सफाई नहीं होना , वजीराबाद से ओखला तक के 22 किलोमीटर के रास्ते में 20 से अधिक पुल तथा तीन बैराज पानी के बहाव को बाधित करते हैं…।’ ये रेत तल सिग्नेचर ब्रिज के नीचे, आईटीओ बैराज और यमुनाबैंक के बीच, आईएसबीटी कश्मीरी गेट और ओआरबी के बीच, और ओआरबी तथा गीता कॉलोनी पुल के बीच हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि ऊपरी जल ग्रहण क्षेत्रों में लगातार बारिश के कारण नदी में जलस्तर बढ़ा है। विभाग ने बताया कि निचले इलाके में रहने वाले लोगों को ऊंचाई वाले इलाकों में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। उन्होंने बताया कि जागरुकता, निकासी और बचाव कार्य के लिए 45 नावें तैनात की गई हैं और निकाले गए लोगों को राहत प्रदान करने के लिए गैर सरकारी संगठनों की मदद ली जा रही है। विभाग ने कहा, “पुराने रेलवे पुल को यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। अतिरिक्त पानी छोड़ने के लिए ओखला बैराज के सभी दरवाजे खोल दिए गए हैं।”

विभाग ने बताया कि इस काम के लिये संबंधित जिलों के सभी जिलाधिकारी और उनकी सेक्टर समितियां सतर्क हैं और बाढ की स्थिति से निपटने के लिये सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली पुलिस, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करते हुए काम कर रही हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में सोमवार को कहा था कि दिल्ली में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका नहीं है, लेकिन सरकार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

दिल्ली सरकार ने पहले रविवार और बाद में मंगलवार को बाढ़ की चेतावनी जारी की थी और अधिकारियों से सतर्क रहने और संवेदनशील इलाकों में आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया था। इसके अलावा, त्वरित प्रतिक्रिया दल और नौकाएं तैनात की गई हैं। दिल्ली सरकार ने बाढ़ संभावित क्षेत्रों और यमुना के जलस्तर की निगरानी के लिए एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष सहित 16 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं।

यमुना नदी प्रणाली के जलग्रहण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्से शामिल हैं। उत्तर-पश्चिम भारत में पिछले तीन दिन से लगातार बारिश हो रही है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में ‘भारी से अत्यधिक भारी’ वर्षा दर्ज की गई है। इससे नदियां, नाले उफान पर हैं और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व पंजाब में बुनियादी ढांचे को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है तथा आवश्यक सेवाएं प्रभावित हुई हैं।

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