मेले पर्व त्यौहार किसी भी समाज की जीवन परंपराओं व समृद्ध संसकृति के परिचायक: राखिल काहलों
टीम एक्शन इंडिया/बिलासपुर/ कश्मीर ठाकुर
राज्य स्तरीय नलवाडी मेले के शुभारम्भ अवसर पर मण्डलायुक्त मण्डी राखिल काहलों ने जिला वासियों को नलवाड़ी मेले की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मेला पर्व व त्यौहार किसी भी समाज की जीवन परंपराओं व समृद्ध संस्कृति के परिचायक होते हैं। यह किसी ना किसी सांस्कृतिक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि अथवा प्राकृतिक परिवर्तनों के साथ जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि वसंत ऋतु के आगमन से जुड़े यह मेला चौत्र यानी 17 मार्च से शुरू होकर लगभग सप्ताह भर चलता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मेले में परंपरा के अनुरूप पशु व्यवसाय, छिंज एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सभी क्षेत्रवासी भरपूर आनंद का अनुभव करेंगे।उन्होंने कहा कि सांडू के मैदान से लुहणु के मैदान में परिवर्तित नलवाड़ी मेले में अनेक परिवर्तन हुए। आधुनिक चकाचौंध के कारण मेले के स्वरूप में बदलाव के चावजूद भी मेले की परंपरा व पौराणिकता को यथावत जीवंत बनाए रखने में मेला कमेटी और सभी जिला वासियों का प्रयास सराहनीय है। उन्होंने कहा कि आपसी भाई.चारे व सांस्कृतिक धरोहर को जीवत रखने के प्रतीक हमारे मेले व त्यौहार जनमानस में परस्पर मधुर मिलन व सह-अस्तित्व की भावना का संचार करते हैं । इससे पूर्व उन्होंने लक्ष्मी नारायण मन्दिर में पूजा अर्चना के पश्चात लुहणू मैदान तक भव्य शोभा यात्रा का नेतृत्व भी कियाए जहां उन्होंने बैल पूजन व खून्टी गाड़ कर नलवाड़ी मेले का विधिवत शुभारम्भ किया। उन्होंने नलवाड़ी मेले के ध्वज को फहराने के अतिरिक्त प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए अध्यक्ष मेला कमेटी एवं उपायुक्त बिलासपुर आबिद हुसैन सादिक ने कहा कि बिलासपुर जनपद के राजा विजय सेन के समय में शुरू हुआ यह मेला आज 134वें साल में प्रवेश कर गया है। उन्होंने कहा कि मूलत: बैलों की खरीद फरोख्त से शुरू हुए इस मेले मेंसमय.समय पर अमूलचूक परिवर्तन होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेले को आकर्षक बनाने के लिए बिलासपुर रियासत के अन्तिम राजा आनंद चंद ने इस मेले के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम कुश्ती एवं अन्य खेलों को जोड़ा था ताकि लोगों का मनोरंजन भी हो सके। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पशुधन के महत्व को बरकरार रखने के लिए मेला कमेटी द्वारा आकर्षक इनामों के साथ पशुपालकों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताएं करवाई जाएंगी। इसके अतिरिक्त जनपद की लोक संस्कृति को उजागर करने के लिए आगामी 3 दिनों तक दैनिक लोकोत्सव में लोक कलाकारों को मंच दिया जाएगा तथा 20 मार्च से रात्रि के कार्यक्रमों में प्रदेश के समृद्ध संस्कृति के संवर्धन हेतु स्थानीय कलाकारों सहित हिमाचल के विभिन्न जिलों के सांस्कृतिक दलों व स्थापित कलाकर इस मेले में अपनी शानदार प्रस्तुति देंगे। मेला कमेटी ने इस वर्ष केवल हिमाचल के कलाकारों को ही सांस्कृतिक संध्याओं में मौका देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इस मेले के इतिहास में पहली बार मिस कहलूर प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। मेले में सभी विभागों ने अपनी विकासात्मक प्रदर्शनियां लगाई है जिसमें जिलावासियों को उन्नत बिलासपुर एवं उन्नत हिमाचल का दर्शन होगा। उपायुक्त ने बताया कि मेले के दौरान बिजली पानी व सफाई की उचित व्यवस्था की गई है तथा इसके अतिरिक्त पहली बार दिन को गर्मी व बारिश से लोगों को राहत देने के लिए जर्मन हँगर लगाया गया है ताकि लोग मेले का भरपूर आनंद ले सकें। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक बिलासपुर कार्तिकेन गोकुल चन्द्रन, अतिरिक्त उपायुक्त डा. निधि पटेल, उपमण्डलाधिकारी सदर अभिषेक गर्ग,सहित आदि उपस्थित रहे।