अन्य राज्यमध्य प्रदेश

रबी के लिए किसानों को समय से मिलें उत्तम उर्वरक और बीज : एपीसी सुलेमान

रबी के लिए किसानों को समय से मिलें उत्तम उर्वरक और बीज : एपीसी सुलेमान

प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता
डीएपी के समान ही गुणवत्ता युक्त है एनपीके
किसान नरवाई ना जलाएं, सुपर सीडर का उपयोग करें
25 अक्टूबर से होगी सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी
कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) ने खरीफ-2024 के संबंध में भोपाल एवं नर्मदापुरम संभाग की बैठक ली

भोपाल

रबी फसलों के लिए किसानों को समय से उत्तम उर्वरक और बीज मिलना सुनिश्चित किया जाए। प्रदेश में सभी उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है। डीएपी के समान ही एनपीके गुणवत्ता युक्त है। इसमें फसलों के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व हैं। किसान नरवाई ना जलाएं, सुपर सीडर का उपयोग करें। प्रदेश में कहीं भी खाद, बीज का अवैध भंडारण, कालाबाजारी अथवा अमानक विक्रय न हो, यह सुनिश्चित किया जाए। समर्थन मूल्य पर सोयाबीन विक्रय के लिए किसानों को हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

एपीसी मोहम्मद सुलेमान ने यह निर्देश आज नर्मदा भवन में संपन्न भोपाल एवं नर्मदापुरम संभागों के लिए खरीफ-2024 की समीक्षा एवं रबी 2024- 25 की तैयारियों के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में दिए। बैठक में कृषि, सहकारिता, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन, उद्यानिकी आदि विभागों के कार्यों की समीक्षा की गई। अपर मुख्य सचिव सहकारिता अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव मत्स्य पालन डी.पी. आहूजा, प्रमुख सचिव उद्यानिकी अनुपम राजन, सचिव कृषि एम. सेलवेंद्रन, संभागायुक्त भोपाल संजीव सिंह, संभागायुक्त नर्मदापुरम के.जी. तिवारी, संबंधित जिलों के कलेक्टर्स, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। विभिन्न योजनाओं के सफल हितग्राहियों ने अपने अनुभव भी बैठक में साझा किए।

एपीसी सुलेमान ने कहा कि प्रदेश में सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए किसानों के पंजीयन का कार्य जारी है। आगामी 25 अक्टूबर से सोयाबीन की खरीदी की जाएगी, जो 31 दिसंबर तक चलेगी। खरीदी केंद्रों पर सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें। सोयाबीन खरीदी के लिए किसानों को टोकन दिए जाएं, जिससे उन्हें अनावश्यक इंतजार न करना पड़े। किसानों की सुविधा के लिए आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त केंद्र एक-दो दिन में खोल दिए जाएंगे। खरीदी में शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों का प्रयोग किया जाए।

सचिव कृषि सेलवेंद्रन ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य है। दालों के उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में 24 प्रतिशत उत्पादन के साथ प्रथम है। अनाजों के उत्पादन में 12% उत्पादन के साथ देश में द्वितीय और तिलहन के उत्पादन में 20% उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है। प्रदेश की कृषि विकास दर 19 प्रतिशत है। देश में मध्यप्रदेश के सर्वाधिक 16.5 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती होती है। उन्होंने बताया कि रबी 2024-25 के लिए प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है। रबी के लिए प्रदेश में कुल 16.43 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है, जिसमें 6.88 यूरिया, 1.38 डीएपी, 2.70 एनपीके, 4.08 डीएपी +एनपीके, 4.86 एसएसपी और 0.61 लाख मीट्रिक टन एमओपी उर्वरक उपलब्ध है। प्रदेश में रबी फसलों के अंतर्गत मुख्य रूप से चंबल एवं ग्वालियर संभागों में सरसों 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, सागर संभागों में चना, मसूर 20 अक्टूबर से 10 नवंबर तक, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, चंबल, सागर, नर्मदापुरम में गेहूं 1 नवंबर से 30 नवंबर तक तथा जबलपुर, रीवा एवं शहडोल संभागों में गेहूं एवं चना की फसलों की बोनी 15 नवंबर से 31 दिसंबर तक की जाती है।

एपीसी सुलेमान ने सभी कलेक्टर को निर्देश दिए गए कि वे सुनिश्चित करें कि उनके जिलों में नरवाई न जलाई जाए। किसानों को सुपर सीडर के प्रयोग के लिए प्रेरित किया जाए। इसके प्रयोग से फसल कटाई के साथ ही बोनी भी हो जाती है। इससे खेतों में बची हुई नमी का अगली फसल में उपयोग हो जाता है, कम बीज लगता है और फसल पहले आ जाती है, जो किसानों के लिए अत्यधिक लाभदायक है। सभी जिलों में सुपर सीडर मशीन की किसानों को उपलब्धता सुनिश्चित करायें।

अपर मुख्य सचिव सहकारिता अशोक बर्णवाल ने निर्देश दिए कि सभी जिलों में रबी फसलों के लिए भी किसानों को शासन की शून्य प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण योजना का लाभ दिए जाना सुनिश्चित करें। हर जिले में "वन स्टॉप सेंटर" बनाए जाएं, जहां किसानों को सारी सुविधाएं मिल सकें। समिति स्तर पर अल्पावधि ऋणों की वसूली बढ़ाई जाए। जो प्राथमिक सहकारी समितियां ठीक से कार्य नहीं कर रही हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाए। उन्होंने निर्देश दिए की पैक्स के ऑडिट का कार्य अक्टूबर तक पूर्ण किया जाए तथा नवीन पैक्स के गठन की कार्रवाई की जाए। बताया गया कि ऋण महोत्सव के अंतर्गत आगामी 6 नवंबर तक किसानों को अ-कृषि ऋण वितरित किए जा रहे हैं।

मत्स्य विभाग की समीक्षा में प्रमुख सचिव डी.पी. आहूजा ने बताया कि मध्यप्रदेश में 4.42 लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र, जिसमें से 99% भाग में मत्स्य पालन किया जाता है प्रदेश में 2595 मछुआ समितियां पंजीकृत हैं, जिनसे 95417 मत्स्य पालक जुड़े हुए हैं। मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति मत्स्य उपलब्धता 7.5 किलोग्राम है। प्रदेश का पहला इंटीग्रेटेड एक्वापार्क भदभदा रोड भोपाल में स्थित है। प्रदेश में मुख्य रूप से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना और मछुआ क्रेडिट कार्ड योजना संचालित है। सभी योजनाओं में निर्धारित लक्ष्य प्राप्ति के निर्देश कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा दिए गए। मछुआ पालन की नई तकनीकी के इस्तेमाल के लिए मत्स्य पालक किसानों को प्रेरित किया जाए।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की समीक्षा में बताया गया कि भारत में दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश का तीसरा स्थान है। प्रदेश में 591 लाख किलोग्राम प्रतिदिन दूध का उत्पादन होता है। राष्ट्र का 9% दुग्ध उत्पादन मध्यप्रदेश में होता है। मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता 644 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 459 ग्राम प्रतिदिन का है। प्रदेश में 7.5% पशुधन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 5.05 का है। वर्ष 2019 की पशु संगणना के अनुसार मध्यप्रदेश में गौ-वंश पशु संख्या देश में तीसरे स्थान पर 187.50 लाख है, वही भैंस वंश पशु संख्या चौथे स्थान पर 103.5 लाख है। प्रदेश में पशुओं के उपचार के लिए चलित पशु चिकित्सा वाहन (1962) संचालित है, जो कि स्थान पर जाकर पशुओं का इलाज करते हैं। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में अव्वल है। भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी से गायों के नस्ल सुधार कार्यक्रम में प्रदेश में अच्छा कार्य हो रहा है। पशुपालकों से मात्र 100 रुपए के शुल्क पर गायों का नस्ल सुधार किया जाता है। इससे पशुपालकों को अच्छी आय प्राप्त हो रही है। सभी कलेक्टर को निर्देश दिए गए कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ पशुपालकों को दें। कुक्कुट पालन एवं बकरी पालन से भी पशुपालकों को अच्छी आमदनी होती है, इसके लिए भी उन्हें प्रेरित किया जाए।

उद्यानिकी विभाग की समीक्षा के दौरान बताया गया कि दोनों संभागों में उद्यानिकी फसलों के रकबे में भी वृद्धि हो रही है। यहां के किसान उच्च मूल्य फल जैसे थाई पिंक अमरुद, एवाकाडो एवं ड्रैगन फ्रूट की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं। संभाग के सभी जिलों में अमरूद, ड्रैगन फ्रूट एवं संतरा फसल का विपणन दिल्ली, मुंबई आदि बड़े महानगरों में किया जा रहा है। गुलाब, जरबेरा एवं उच्च कोटि की सब्जियों की खेती पॉली हाउस एवं शेड नेट हाउस में उच्च तकनीकी से की जाकर अधिक उत्पादन एवं आय प्राप्त हो रही है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id