शिमला: प्रदेश सरकार ने नए भर्ती होने वाले डाॅक्टरों के लिए (एनपीए) यानी नॉन-प्रैक्टिसिंग अलाऊंस की सुविधा को बंद कर दिया है। इसको लेकर सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके मुताबिक हैल्थ फैमिली वैल्फेयर में भर्ती होने वाले एमबीबीएस डाॅक्टर्स, डैंटल व आयुष के डाॅक्टर्स सहित एनिमल हसबैंडरी डिपार्टमैंट में भर्ती होने वाले वैटर्नरी डाॅक्टर्स को एनपीए नहीं मिलेगा। वित्त विभाग के प्रधान सचिव मनीष गर्ग की ओर से अधिसूचना जारी हुई है। हालांकि अधिसूचना में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि नए भर्ती होने वाले डाॅक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं या नहीं। उल्लेखनीय है कि एनपीए इसलिए दिया जाता रहा ताकि डाॅक्टर्स निजी प्रैक्टिस न कर सकें।
चिकित्सक वर्ग में विरोध शुरू
उधर, हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन ने इस फैसले को दुखद बताया है।एसोसिएशन के अध्यक्ष डाॅ. राजेश राणा का कहना है कि इस बारे सभी संबंधित संगठनों से बात करके आगामी रणनीति बनाई जाएगी। संयुक्त संघर्ष समिति बनाई जाएगी और इस फैसले का विरोध किया जाएगा। डाॅ. राजेश राणा का कहना है कि एनपीए बंद करने के फैसले का व्यापक असर होगा। हिमाचल जैसे राज्य में कई दशकों से यह सुविधा दी जा रही थी। हिमाचल के डाॅक्टर इस फैसले से हतोत्साहित होंगे।
संयुक्त संघर्ष समिति के गठन के बाद सभी की राय लेकर सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखा जाएगा। राजेश का कहना है कि यह बहुत दुखद फैसला है। सरकारी सैक्टर में डाॅक्टर्स दिनभर मरीज का उपचार करते हैं और आपातकालीन में भी हमेशा एकदम तैयार रहते हैं। उन्हें सेवाभाव से काम करने के लिए ही एनपीए मिलता है। फिलहाल कांग्रेस सरकार के इस फैसले का चिकित्सक वर्ग में विरोध होना शुरू हो गया है। आगामी समय में इस मुद्दे को लेकर डाॅक्टर्स की हड़ताल भी देखने को मिल सकती है।