हिमाचल प्रदेश

भिक्षावृत्ति रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाने पर हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार को लगाई कड़ी फटकार

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाने को लेकर हिमाचल सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने हिमाचल सरकार को शपथपत्र के जरिए प्रदेश में भिखारियों की जमीनी हकीकत से अवगत करवाने के आदेश दिए हैं.

मामले में हाईकोर्ट 43 साल पहले बनाए भिक्षावृति निवारण अधिनियम के प्रावधानों पर अमल को लेकर दायर स्टेट्स रिपोर्ट पर असंतुष्ट दिखा. मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को भिखारियों की जमीनी हकीकत कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए हैं. बता दें कि कॉलेज छात्रा द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया कि शिमला शहर में जगह-जगह भिखारी नजर आ जाते हैं. इनके साथ नंगे पांव व बिना कपड़ों के छोटे-छोटे बच्चे होते हैं, जिनके रहन सहन के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाये गए है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के लोगों के रहन सहन के इंतजाम के लिए दिशा निर्देशों जारी कर रखे है.

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों की अनुपालना को लेकर निदेशक महिला एवं बाल विकास को प्रतिवेदन भेजा था, लेकिन उनकी ओर से इस बारे में कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया. 12 से 18 महीने के बच्चों को फुटपाथ पर बिना घर के रोलर स्केटिंग रिंक लक्कड़ बाजार, लोअर बाजार और अन्य उपनगरों में देखा जा सकता है. प्रार्थी के अनुसार केंद्र और राज्य सरकार की ओर से इनके लिए कोई भी कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों की उल्लंघना को दर्शाता है. मामले में अगली सुनवाई 20 नवंबर को तय की गई है.

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