हरियाणा में तीसरी बार होने जा रहा इनेलो और बसपा गठबंधन
टीम एक्शन इंडिया
चंडीगढ़: हरियाणा में आगामी अक्टूबर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन तीसरी बार भाग्य आजमाने की तैयारी में है। आगामी 11जुलाई को चंडीगढ़ में दोनो दल गठबंधन की घोषणा करने की तैयारी में है।
हालांकि 1998 के लोकसभा चुनाव में इनेलो के साथ हुए गठबंधन को छोड़कर राज्य में बसपा ने जो भी गठबंधन किए, वह कभी सिरे नहीं चढ़ पाए। पिछले गठबंधनों का फायदा न तो बसपा को मिल पाया और न ही उसके साथ गठबंधन करने वाले राजनीतिक दल को कोई लाभ मिला।
कारण यह माना जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो ने हरियाणा को राजनीतिक रूप से कभी अपने एजेंडे में प्राथमिकता पर रखा ही नहीं। बहुजन समाज पार्टी इस बार राज्य में पांचवीं बार गठबंधन करने जा रही है। प्रदेश में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे गठबंधन हर बार चुनाव के आसपास होते हैं।
इस बार बसपा और इनेलो के गठबंधन की घोषणा 11 जुलाई को चंडीगढ़ में होगी। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने शनिवार को नई दिल्ली में बसपा अध्यक्ष मायावती के साथ मुलाकात कर उन्हें हरियाणा में चुनावी गठजो़ड़ के लिए तैयार कर लिया है। साल 2018 में भी इनेलो और बसपा का गठबंधन हुआ था। अभय सिंह चौटाला ने बसपा अध्यक्ष मायावती की कलाई पर राखी बांधकर गठबंधन की मजबूती का संकल्प लिया था, लेकिन कुछ समय बाद गठबंधन टूट गया और अब करीब छह साल बाद दोनों भाई-बहन के राजनीतिक रिश्ते फिर से परवान चढ़ते दिखाई दे रहे हैं।
जाट और दलित वोटों पर बसपा व इनेलो की निगाह है। हरियाणा में जाटों की संख्या करीब 22 प्रतिशत और दलितों की संख्या 21 प्रतिशत आंकी जा रही है। इन दोनों वोट बैंक पर बसपा व इनेलो की निगाह है। हालांकि दलित व जाट किसी एक दल से बंधे नहीं हैं। सभी राजनीतिक दल उन पर अपना हक जताते हैं, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में इनेलो को 1.74 प्रतिशत तथा बसपा को 1.28 प्रतिशत वोट मिले हैं।