हिमाचल प्रदेश

9 परगनों की जातर पारंपरिक बाध्य यंत्रों के साथ पहुंची चूड़धार

एसपी जैरथ
नाहन: रेणुका पच्छाद क्षेत्र के 9 परगनों की जातर रविवार को चूड़धार पहुंची। क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु शनिवार को शिरगुल देवता की जन्म स्थली शाया से व नौहराधार से चूड़धार के लिए रवाना हुए थे। श्रद्धालुओं ने रात्रि ठहराव बंगा पाणी वैरभ व तीसरी में खुले आसमान के नीचे किया। नौहराधार क्षेत्र से पहुंचे सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने तिसरी नामक स्थान पर पारंपरिक बाध्य यंत्रों के साथ शाया से आए देवते का प्राचीन परंपरा के साथ भव्य स्वागत किया गया। रविवार को रविवार को जातर चूड़धार पहुंची।

चूड़धार पहुंचने के बाद शिरगुल महाराज शाया के देवते को शाही स्नान करवाया गया। उसके बाद देवता ने मंदिर की ओर प्रस्थान किया। देवता के साथ आई जातर ने मंदिर में पूजा अर्चना की। उसके बाद लगभग 12500 फु ट की ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग पर पहुंच कर श्रद्धालुओं ने शिव की प्रतिमा व शिवलिंग पर पूजा-अर्चना की।

शिवलिंग से लौटने के बाद एक बार श्रद्धालु फि र मंदिर पहुंचे और अराध्य देव से क्षेत्र की खुशहाली व समृद्धि के लिए अर्चना की। शिरगुल महाराज ने श्रद्धालुओं को सुख समृद्धि व खुशहाली का आशीर्वाद दिया। उसके बाद जातर देवता के साथ जातर अपने-अपने परगनों के लिए रवाना हुई।

तीसरे वर्ष चूड़धार पहुंचती है जातर

राजगढ़, पच्छाद व रेणुका क्षेत्र के 9 परगनों की जातर हर तीन वर्षों के बाद चूड़धार जाती है। जातर में हजारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं। शिरगुल देवता शिलाई, रेणुकाजी व पच्छाद विस क्षेत्र के अलावा शिमला जिले के लाखों लोगों के अराध्य देवता है। यह जातर क्षेत्र की सुख समृद्धि व खुशहाली के लिए की जाती है। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।

 

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