केजरीवाल के शिक्षा मॉडल का भांडा फूट चुका है: आदेश
टीम एक्शन इंडिया
नई दिल्ली: दिल्ली की स्कूली शिक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाली केजरीवाल के फर्जी शिक्षा मॉडल का भांडा फूट चुका है। क्योंकि हाल ही में आए 2023-2024 सत्र के नतीजों में सरकारी स्कूलों की नौवीं में लगभग 1 लाख बच्चे फेल हुए हैं, ग्यारहवीं में 50 हजार और आठवीं में लगभग 46 हजार बच्चे फेल हुए हैं। यह कहना है करावल नगर कांग्रेस जिलाध्यक्ष आदेश भारद्वाज का।
उन्होंने बताया कि एक आरटीआई के जवाब में दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने यह जवाब दिया है। यह रिपोर्ट काफी हैरान कर देने वाली है क्योंकि दिल्ली शिक्षा निदेशालय के तहत लगभग 1068 स्कूल हैं और लगभग 37 डॉ. बीआर अंबेडकर स्कूल आॅफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस स्कूल हैं। आरटीआई के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2023-24 में दिल्ली सरकार के स्कूलों में नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले 1,01,331 स्टूडेंट्स फेल हुए। जबकि 2022-23 में 88,409, 2021-22 में 28,531 और 2020-21 में 31,540 स्टूडेंट्स फेल हुए।
11वीं कक्षा में शैक्षणिक सत्र 2023-24 में 51914, 2022-23 में 54755, 2021-22 में 7246 और 2020-21 में केवल 2169 स्टूडेट्स बच्चे फेल हुए। निदेशालय के अनुसार शिक्षा के अधिकार के तहत नो-डिटेंशन पॉलिसी रद्द होने के बाद शैक्षणिक सत्र 2023-24 में आठवीं कक्षा में 46,622 स्टूडेंट्स फेल हुए हैं।
आदेश भारद्वाज ने दिल्ली सरकार पर सवालिया निशान उठाते हुए कहा कि जिस तरह से साल दर साल फेल होने वाले बच्चो का यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है यह एक गंभीर विषय बन रहा है और उसके प्रति सरकार ने क्या निर्णय लिया है, क्योंकि आप किसी भी सरकारी स्कूल में जाकर देख लीजिए एक-एक कक्षा में 8 से 10 सेक्शन हैं और प्रत्येक सेक्शन में 80 से 100 बच्चे हैं। लेकिन सरकार ना ही नए क्लास रूम बनाने पर ध्यान दे रही है, ना नए स्कूल बनवा पा रही है। यही हाल अध्यापकों की नियुक्ति का है। आॅल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के दावे के अनुसार लगभग 25 हजार अध्यापको के पद खाली पड़े हैं, जिसके लिए सरकार की कोई पहल नही है।
श्री भारद्वाज ने बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के मुताबिक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में से सिर्फ 203 स्कूलों में ही प्रिंसिपल या हेडमास्टर हैं यानि लगभग 80% स्कूलों में प्रिंसिपल हैं ही नही, तो आप अंदाजा लगाइए कि बढ़ती बच्चो की संख्या और घटती शिक्षको की संख्या से उत्पन्न लचर शिक्षा व्यवस्था दिल्ली को आखिर क्या नतीजा देगी।