सेहत और स्वास्थ्य

जानें रोटी और भोजन से जुड़े महत्वपूर्ण वास्तु नियम

वास्तु शास्त्र में ऐसे कई नियम बताए गए हैं, जो आपके घर की सुख-समृद्धि से जुड़े होते हैं। वास्तु शास्त्र के इन नियमों से सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के स्त्रोतों और कारणों की जानकारी दी गई होती है। वास्तु शास्त्र में भोजन और इससे जुड़े नियम भी मिलते हैं। वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार पितृपक्ष में कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं, जिनका पालन जरूर करना चाहिए। जैसे, दिशाओं से भी भोजन के नियम जुड़े हुए हैं। आइए, जानते हैं पितृपक्ष में रोटी से जुड़े वास्तु नियम क्या हैं।

​दक्षिण दिशा में बैठकर खाना न खाएं​

इस नियम को भी पितृपक्ष ही नहीं बल्कि आम दिनों में भी इसका पालन किया जाना चाहिए। दक्षिण दिशा यमलोक की दिशा होती है। पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध, पूजा और शाम के समय दीया भी दक्षिण दिशा में ही जलाया जाता है, इसलिए दक्षिण दिशा में बैठकर कभी भी खाना नहीं खाना चाहिए।

​दक्षिण दिशा में खड़े होकर कभी न बनाएं रोटी​

दक्षिण दिशा यमराज की मानी जाती है इसलिए अगर आप दक्षिण दिशा में खड़े होकर रोटी बनाते हैं, तो इससे आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है। विशेषकर पितृपक्ष में दक्षिण दिशा के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं और यहां से आपके पितरों का आना-जाना होता है। ऐसे में माना जाता है कि आप उनके मार्ग में खड़े होकर बाधा डालते हैं, इसलिए दक्षिण दिशा में खड़े होकर रोटी कभी न बनाएं।

​दक्षिण दिशा में मुंह करके खाना न परोसें​

पितृपक्ष में इस नियम का पालन जरूर करना चाहिए। आपको चाहे कितनी भी भूख लगी हो लेकिन दक्षिण दिशा की तरफ चेहरा करके आपको खाना नहीं परोसना चाहिए। पितृपक्ष में दक्षिण दिशा में खड़े होकर केवल पितरों को ही खाना परोसा जाता है और पितरों के नाम की थाली भी दक्षिण दिशा में ही लगाई जाती है।

​दक्षिण दिशा में न रखें आटा या अनाज​

आपके घर में अगर दक्षिण दिशा में कोई अलमारी या किचन स्टोरेज बॉक्स है, तो आपको पितृपक्ष में इन चीजों को वहां से हटा देना चाहिए। इसका कारण यह है कि आपको दक्षिण दिशा में आटा या फिर अनाज नहीं रखना चाहिए। आप अगर पितृपक्ष में आटा या अनाज दक्षिण दिशा में रखते हैं, तो इसका अर्थ यह होता है कि वो अनाज आप पितरों को समर्पित कर रहे हैं। इसके बाद उस सामान को पितरों के नाम दान देने योग्य समझा जाता है।

​थाली में एक साथ कभी न दें 3 रोटी​

हर व्यक्ति की भूख अलग होती है। कुछ लोग एक रोटी खाते हैं, तो कुछ लोगों का पेट दो या तीन रोटियां खाने से भरता है लेकिन अगर किसी की भूख तीन रोटियों की है, तो आपको थाली में एक साथ तीन रोटियां नहीं परोसनी चाहिए। भोजन का यह नियम केवल पितृपक्ष में ही नहीं बल्कि आम दिनों में भी माना जाना चाहिए। थाली में एक साथ तीन रोटियां न देने का कारण यह है कि 3 रोटियां हमेशा पितरों को चढ़ाई जाती हैं। ऐसे में अगर आप थाली में किसी को तीन रोटियां देते हैं, तो उस थाली को पितरों को समर्पित माना जाता है। आपको अगर थाली में तीन रोटियां ही देनी है, तो एक रोटी का छोटा-सा टुकड़ा तोड़कर थाली में रख दें, इससे तीन रोटियां पूरी नहीं मानी जाती हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/