धर्म-आस्था

जाने कब से शुरू है छठ पूजा का पर्व? समझे नहाय-खाय और खरना की सही तारीख

बिहार-यूपी में छठ पूजा का विशेष महत्व होता है. छठ पूजा को महापर्व कहा जाता है. छठ पूजा पूरी तरह से प्रकृति को समर्पित होता है. इस पर्व में व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास करती हैं, जबकि किसी अन्य पर्व में इतना लंबा उपवास नहीं रखा जाता है. छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. छठ पूजा का पर्व नहाय खाय के साथ प्रारम्भ होता है. यह पर्व चार दिन का होता है. छठ पूजा मे षष्ठी माता और सूर्य देव की पूजा अराधना की जाती है. इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होगी. इस साल छठ पूजा में विशेष संयोग बन रहा है. 17 नवंबर को अमृतयोग और रवियोग के साथ छठ पूजा प्रारम्भ हो रही है. छठ पूजा संतान प्राप्ति या संतान के सुखमय जीवन के लिए किया जाता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार की छठ पूजा पर शुभ योग का संयोग बन रहा है. क्योंकि रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है और पहला अर्घ्य रविवार को ही पड़ रहा है जो बेहद शुभ है.

पहला दिन- नहाय खाय (Nahay Khay date)

नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन व्रती नदी में स्नान करते हैं. इसके बाद सिर्फ एक समय का ही खाना खाया जाता है. इस बार नहाय खाय 17 नवंबर 2023 को है.

दूसरा दिन- खरना (Kharna date)

छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है. इस दिन भोग तैयार किया जाता है. शाम के समय मीठा भात या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है.व्रत का तीसरा दिन दूसरे दिन के प्रसाद के ठीक बाद शुरू हो जाता है. इस साल खरना 18 नवंबर को है.  

तीसरा दिन-  संध्या अर्घ्य (Surya arghya)

छठ पूजा में तीसरे दिन को सबसे प्रमुख माना जाता है. इस मौके पर शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है और बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है. इसके बाद, व्रती अपने परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं और इस दिन डूबते सूर्य की आराधना की जाती है. छठ पूजा का पहला अर्घ्य इस साल 19 नवंबर को दिया जाएगा. इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगा.

चौथा दिन- ऊषा अर्घ्य

चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. ये अर्घ्य लगभग 36 घंटे के व्रत के बाद दिया जाता है. 20 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 47 मिनट पर होगा. इसके बाद व्रती के पारण करने के बाद व्रत का समापन होगा. 

कार्तिक मास की षष्ठी तिथि कब है?

पंचांग के अनुसार छठ पूजा पर सूर्योदय सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 06 बजे होगा. वहीं षष्ठी तिथि 18 नवंबर 2023 को सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 19 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी.

नहाय खाय के साथ छठ पूजा प्रारम्भ

चार दिनों तक चलने वाला छठ पूजा पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. छठ पूजा की शुरुआत इस साल 17 नवंबर से हो रही है. इस दिन से घर में शुद्धता का ध्यान रखा जाता है. नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं. वहीं, 18 नवंबर को खरना है. इस दिन गुड़ और खीर का प्रसाद बना कर ग्रहण करते हैं.

खरना का प्रसाद ग्रहण कर रखा जाता है 36 घंटे का उपवास

व्रती गुड़ और खीर का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे निर्जला उपवास रखती हैं. इस प्रसाद को बनाने में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य भी कहते हैं. चौथे दिन यानी 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान व्रती सूर्य देव से अपनी संतान और परिवार के सुख शांति के लिए कामना करती हैं.

छठ पूजा का मुख्य प्रसाद

छठ पूजा का मुख्य प्रसाद केला और नारियल होता है. इस पर्व का महाप्रसाद ठेकुवा को कहा जाता है. यह ठेकुवा आटा, गुड़ और शुद्ध घी से बनाया जाता है, जो कि काफी प्रसिद्ध है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, छठ पूजा को बहुत ही कठिन पर्व माना जाता है. इस पर्व में व्रती तीन दिनों तक निर्जला उपवास रखती हैं. छठ पूजा में माता छठ और भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. मान्यता है कि जो भी जातक पूरे विधि विधान के साथ छठ पूजा करते हैं उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button