हरियाणा के लाल अंकुश ने डीसी रेट की नौकरी छोड़ शुरु की मोती की खेती, अब कमा रहा 25 लाख रूपए
करनाल | हरियाणा के करनाल के जनेसरो गांव के युवक अंकुश ने डीसी रेट की नौकरी छोड़कर खुद का काम शुरू किया. कुछ अलग और लीक से हटकर करने की चाह ने उन्हें मोती की खेती करने की प्रेरणा दी. इसी का नतीजा है कि आज अंकुश लाखों रुपये कमा रहा है. साथ ही, वह दूसरों को भी इस खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
ओडिशा से लिय मोती की खेती का प्रशिक्षण
बड़ी मशक्कत के बाद अंकुश को नोएडा में डीसी रेट की नौकरी मिली लेकिन वह सिर्फ 9 से 5 के शेड्यूल में फंस गए. वह एक सफल किसान बनना चाहता था, अपने सपनों को ऊंची तथा लंबी उड़ान देने के लिए अंकुश ने साल 2019 में नौकरी छोड़ दी. जिसके बाद, वो मोती की खेती का प्रशिक्षण लेने ओडिशा राज्य चला गया.
अंकुश को नहीं मिला परिवार का सहयोग
प्रशिक्षण लेने के बाद अंकुश का आत्मविश्वास लगातार बढ़ता ही चला गया. उन्होंने अपना खुद का मोती का एक फार्म खोलने का प्लान बनाया. उन्होंने पहले छोटे स्तर पर फार्म खोला. उसके बाद, बड़े स्तर पर पहुंचा. अंकुश के घरवाले भी इस खेती को लेकर चकित थे, इसलिए उसे परिवार का पूरा सहयोग नहीं मिला.
मेहनत करने वाले कभी नहीं हारते
परिवार को संदेह था कि शायद अंकुश असफल हो जाएगा लेकिन दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के साथ- साथ बेहतर प्रशिक्षण ने अंकुश को आगे बढ़ने में मदद की. कहा जाता है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती यानी जो लोग कोशिश करते हैं, उन्हें कभी असफलता के दर्शन नहीं होते. अंकुश की मेहनत रंग लाई और आज उसका फार्म 30 टैंकों का हो गया है. कदम आगे बढ़ते गए और आज उनके रिश्तेदार भी खुश हैं.
कोई भी कर सकता है मोती की खेती
अंकुश ने बताया कि मोती की खेती कोई भी आसानी से कर सकता है क्योंकि इसमें मेहनत कम लगती है और मार्केटिंग भी आसान होती है. फार्म में डिजाइनर मोतियों को मनचाहा आकार दिया जा सकता है. इसमें बाजार की मांग के आधार पर मोतियों का आकार सुनिश्चित किया जाता है. वह भगवान राम और कृष्ण और अन्य मूर्तियों के मोतियों का अधिक उत्पादन करता है.
बिजनेस को इंटरनेशनल लेवल पर ले जाना चाहता है अंकुश
अंकुश ने बताया कि वह जयपुर, अहमदाबाद, सूरत, गुजरात और देश के कई हिस्सों समेत कई शहरों में मांग पर मोती की डिलीवरी करता है. अब वह अपने बिजनेस को इंटरनेशनल लेवल पर ले जाने पर काम कर रहे हैं.
20 से 25 लाख रुपए तक होती है कमाई
अंकुश ने बताया कि इस काम में कॉम्पिटिशन कम होने के कारण मुनाफा ज्यादा है. वह इस धंधे में एक सीजन में 20 से 25 लाख रुपए कमा लेते हैं. उन्होंने देश के युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि इस तरह की परियोजनाओं को स्थापित कर वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं और अपनी और देश की प्रगति में योगदान दे सकते हैं.