नारनौल में वकीलों द्वारा न्यायिक कार्यों का बहिष्कार सातवें दिन भी जारी
नारनौल: नारनौल में वकीलों के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को रद्द करवाने को लेकर किये जा रहे विरोध की कड़ी में जिला बार एसोसिएशन बुधवार को सातवें दिन भी न्यायिक कार्यों से विरक्त रही. जिला बार एसोसिएशन की 17 मई की बैठक में निर्णय लिया गया था कि जब तक वकीलों के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को रद्द नहीं किया जाएगा, तब तक सभी वकील न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करेंगे.
18 मई से जिला बार एसोसिएशन के सदस्य वकीलों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने को लेकर अपने आप को न्यायिक कार्यों से अलग किये हुए हैं. वकीलों ने एसपी के विरोध में नारे लगा कर जिलाधीश को ज्ञापन भी सौंपा है. बुधवार को सातवे दिन भी अधिवक्ताओं ने अपने कार्यों का पूर्ण बहिष्कार रखा.
जिला बार के सदस्यों ने कहा कि जब तक वकीलों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज रद्द नहीं होती तब तक न्यायिक कार्य से अलग रहेगें. वक्ताओं में अधिवक्ता रविन्द्र यादव, राकेश महता, कर्ण सिंह यादव, जसबीर ढिल्लो, मनीष वशिष्ठ, यशवंत यादव, कर्ण सिंह यादव भोजावास, मंजीत यादव मांदी, कुलदीप भरगड़, अजय चौधरी, सुभाष सैनी कोजिन्दा, महाबीर किरोड़ीवाल, नरेश संघी, सुधीर यादव, नरेंद्र गुवानी सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे.
जिला बार एसोसिएशन के प्रधान राजकुमार रामबास ने कहा कि न्यायिक परिसर में अधिवक्ता ऑफिसर ऑफ कोर्ट होता है. उसके कार्यस्थल पर कोई क्लाइंट, उसके साथ अभद्रता करे, गाली गलौच करे, मारपीट करे, यह सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि उसके बाद पुलिस यदि वकीलों के विरुद्ध ही मुकदमा दायर करेगी तो वकील अपना कार्य कैसे कर सकेंगे. बार प्रधान राजकुमार का कहना है की ऐसी किसी बात को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो वकीलों की अस्मिता या प्रतिष्ठा पर आघात करे. प्रधान ने बताया कि अब इस आंदोलन को और गति दी जाएगी. उन्होंने कहा कि हरियाणा की सभी बार एसोसिएशन से भी न्यायिक कार्य से बहिष्कार करने के लिए पत्र भेजा जाएगा.