रोहतक पीजीआई में होगा लिवर ट्रांसप्लांट: अनिल विज
टीम एक्शन इंडिया/अंबाला
हरियाणा के स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज ने विश्व लिवर दिवस पर बड़ा ऐलान लिया है। मंत्री विज ने कहा कि एक वर्ष के दौरान पीजीआई रोहतक में लिवर ट्रांसप्लांट की व्यवस्था कर दी जाएगी। किडनी ट्रांसप्लांट करने के लिए भी पहले ही पीजीआई रोहतक को लिखा जा चुका है और उसकी भी तैयारियां की जा रही हैं।
मैं नहीं चाहता मरीजों को भटकना पड़े: स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि हरियाणा सरकार प्रदेश वासियों को पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं देने को लेकर प्रतिबद्ध है। वे चाहते हैं कि किसी भी बीमारी के लिए मरीज को भटकना न पड़े। विज ने कहा कि अभी तक पीजीआई रोहतक में लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट की फैसिलिटी मुहैया नहीं हो सकी। उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पत्र लिखा हुआ है और लिवर ट्रांसप्लांट साल भीतर शुरू हो जाएगा।
रोहतक से पहले पीजीआई चंडीगढ़ में सुविधा: रोहतक पीजीआइ से पहले पीजीआई चंडीगढ़ और एम्स दिल्ली में लिवर ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। यूपी में पीजीआइ लखनऊ में लिवर ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं। हालांकि, प्राइवेट की बात करें तो दिल्ली और मेदांता में भी लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा है, लेकिन सरकारी संस्थान के मुकाबले प्राइवेट में ज्यादा खर्च है।
लिवर ट्रांसप्लांट क्या है ?: लिवर ट्रांसप्लांट एक विकल्प है और लिवर शरीर का एकमात्र ऐसा अंग है जो फिर से बन सकता है। इससे मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है। लिवर ट्रांसप्लांट में खराब हो चुके लिवर को सर्जरी द्वारा निकाल दिया जाता है। इसके बाद उसके स्थान पर पूर्ण हेल्दी लिवर या हेल्दी लिवर का आधा भाग मरीज को ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है।
किसे होती है जरूरत: लिवर शरीर का बेहद महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर के हानिकारक पदार्थों के डी-टॉक्सीफिकेशन के लिए जिम्मेदार होता है। लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता उन मरीजों को होती है, जिनका लिवर खराब हो चुका हो या बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो। ज्यादातर लिवर मृत दाताओं से प्राप्त किए जाते हैं। लेकिन एक हेल्दी व्यक्ति भी आधा लिवर दान कर सकता है। हेपेटाइटिस और सोरायसिस के कारण खराब हो चुके लिवर के रोगियों को भी लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है।
इससे किसी को नया जीवन मिल सकता है।
कौन दे सकता है लिवर: आमतौर पर रोगी को दो तरह से लिवर दिया जा सकता है। पहला परिवार के किसी सदस्य द्वारा लिविंग डोनर ट्रांसप्लांट से। दूसरा किसी ऐसे व्यक्ति से जिसका मस्तिष्क मृत (ब्रेन डेड) हो चुका हो, आॅर्थोटॉपिक ट्रांसप्लांट या स्पिलिट डोनेशन द्वारा। इस प्रक्रिया में मृत व्यक्ति के लिवर को दो भागों में बांटकर बड़ा हिस्सा किसी वयस्क व्यक्ति को और छोटा हिस्सा किसी बच्चे को देकर दो जीवन बचाए जा सकते हैं। लिवर निकालने के 6 घंटे के भीतर लिवर ट्रांसप्लांट होना आवश्यक होता है।