राष्ट्रीय

PM मोदी 1 जून तक ‘कन्याकुमारी’ में रहेंगे , क्यों खास है ये जगह, कैसे पड़ा इसका ये नाम?

कन्याकुमारी

कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल में पीएम मोदी की 'ध्यान साधना' जारी है. विवेकानंद रॉक मेमोरियल में पीएम मोदी ने गुरुवार शाम करीब 6 बजकर 45 मिनट पर ध्यान शुरू किया जो  1 जून की शाम तक जारी रहेगा. पीएम मोदी उसी शिला पर बैठकर ध्यान कर रहे हैं जिस शिला पर विवेकानंद ने ध्यान किया था.

अपने 45 घंटे के ध्यान के दौरान पीएम मोदी सिर्फ तरल आहार लेंगे और इस दौरान वह केवल नारियल पानी और अंगूर के जूस का सेवन करेंगे. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान पीएम मोदी मौन व्रत का पालन भी करेंगे और ध्यान कक्ष से बाहर नहीं निकलेंगे.

पीएम मोदी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे के प्रवास के लिए भारी सुरक्षा समेत सभी इंतजाम किए गए हैं. शनिवार तक समुद्र तट पर्यटकों के लिए बंद रहेगा और निजी नौकाओं को भी चलने की अनुमति नहीं होगी. देश के दक्षिणी छोर पर स्थित इस जिले में 2 हजार पुलिसकर्मियों का दल तैनात रहेगा और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां ​​प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दौरान कड़ी निगरानी रखेंगी.

यहां मिला था विवेकानंद को जिंदगी का मकसद

भारत का सबसे दक्षिणी छोर, कन्याकुमारी यानी वो स्थान जहां भारत की पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं मिलती हैं. ये हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का भी मिलन बिंदु है. विवेकानंद से प्रभावित प्रधानमंत्री 70 से ज्यादा दिनों तक चुनाव प्रचार खत्म करने के बाद गुरुवार शाम उस ऐतिहासिक जगह पहुंचे जहां विवेकानंद को अपनी जिंदगी का मकसद मिला था.

प्रधानमंत्री हेलिकॉप्टर से तिरुवनंतपुरम से 97 किमी दूर तमिलनाडु के कन्याकुमारी पहुंचे. जहां विवेकानंद मंडपम के ठीक सामने 300 मीटर दूर उनका हेलिकॉप्टर उतरा. कन्याकुमारी पहुंचते ही प्रधानमंत्री मोदी का काफिला सीधे भगवती अम्मान मंदिर की तरफ निकला. जहां उन्होंने विवेकानंद रॉक मेमोरियल में जाने से पहले पूजा की. भगवती अम्मान मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है.

मंदिर में की विशेष पूजा

माना जाता है कि देवी कन्याकुमारी की मूर्ति की स्थापना 3000 साल पहले भगवान परशुराम ने की थी. पुजारियों ने बताया कि किसी प्रधानमंत्री ने पहली बार देवी के दर्शन किए हैं. धोती और सफेद शॉल ओढ़े मोदी ने मंदिर में पूजा-अर्चना की और गर्भगृह की परिक्रमा की. पुजारियों ने एक विशेष आरती की और उन्हें मंदिर का प्रसाद दिया गया जिसमें एक शॉल और मंदिर के देवता की फ्रेमयुक्त तस्वीर शामिल थी.

ध्यान लगाना शुरू करने से पहले, मोदी कुछ देर के लिए मंडप की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर खड़े रहे. प्रधानमंत्री एक जून को अपनी रवानगी से पहले स्मारक के पास तमिल कवि तिरुवल्लुवर की प्रतिमा को देखने के लिए भी जा सकते हैं.

विपक्ष हमलावर

एक तरफ जहां पीएम मोदी समंदर की बलखाती लहरों के बीच तीन महासागरों की गोद में बने विवेकानंद रॉक मोमोरियल में ध्यान लगाए हुए हैं, वहीं उनके ध्यान पर घमासान मचा है. पूरा विपक्ष नरेंद्र मोदी पर हमलावर है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है और 4 तारीख के बाद उनका परमानेंट मेडिटेशन होगा. वहीं अखिलेश यादव से लेकर ममता बनर्जी तक ने भी पीएम की आलोचना की. ममता बनर्जी ने कहा कि हर चुनाव के बाद जाकर वह एसी में बैठ जाते हैं.

2019 में केदारनाथ गए थे पीएम

बता दें कि पीएम मोदी हर बार चुनावी नतीजों से पहले कुछ अलग करते हैं. 2014 के नतीजे से पहले पीएम मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन किया था. 2019 के लोकसभा रिजल्ट से पहले पीएम मोदी ने केदारनाथ की गुफा में जाकर ध्यान लगाया था.अब 2024 के नतीजों से पहले पीएम कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान लगा रहे हैं, जाहिर है कि इसके सियासी संदेश दूर तक जाने वाले हैं.

131 साल पहले कन्याकुमारी के इसी रॉक पर जब एक और नरेंद्र ने की थी तपस्या

लोकसभा चुनाव में आखिरी चरण का चुनाव प्रचार थमने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक कन्याकुमारी पहुंच गए हैं. वे वहां स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम् में ध्यान लगा रहे है. पीएम मोदी वहां 45 घंटे तक ध्यान लगाएंगे. 1 जून की शाम वो बाहर आएंगे. इससे पहले गुरुवार को कन्याकुमारी पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने सबसे पहले उस मंदिर में पूजा-अर्चना की, जो देवी कन्याकुमारी को समर्पित है और इस मंदिर को भगवती अम्मन मंदिर भी कहा जाता है. आज से ठीक 131 साल पहले जब स्वामी विवेकानंद 1892 में कन्याकुमारी आए थे, तब उन्होंने भी समुद्र की शिला पर ध्यान लगाने से पहले इसी मंदिर में भक्तिपाठ किया था और आज प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपना ध्यान इसी मंदिर में दर्शन के साथ शुरू किया है.

ये ध्यान पीएम ने गुरुवार शाम को 6 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुआ, जो अब 1 जून की दोपहर 3 बजे तक चलेगा और इस तरह प्रधानमंत्री मोदी पूरे 45 घंटे तक ध्यानमग्न रहेंगे. इस दौरान वो किसी भी तरह का भोजन ग्रहण नहीं करेंगे और सिर्फ नारियल पानी, ग्रेप जूस और पानी ही ग्रहण करेंगे. ध्यान की इस प्रक्रिया में पीएम मोदी 40 घंटे तक मौन धारण करके रखेंगे और ध्यान मंडपम् में जो बड़े से ऊं की आकृति है, वहां उनका ये ध्यान चल रहा है. कन्याकुमारी के ध्यान मंडपम् पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस और उनकी धर्मपत्नी मां शारदा को नमन किया. उसके बाद स्वामी विवेकानंद की विशाल प्रतिमा पर भी पुष्प अर्पित किए.

पहले भारत भ्रमण किया, फिर कन्याकुमारी पहुंचे स्वामी विवेकानंद

बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि साल 1892 में जब स्वामी विवेकानंद ने कन्याकुमारी की इस शिला पर ध्यान लगाया था, तब इस ध्यान ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत पर केंद्रित किया था. ये वो दौर था, जब स्वामी विवेकानंद जीवन दर्शन में अध्यात्म और हिन्दू धर्म की विशालता को आत्मसात कर रहे थे. उन्होंने तपस्या करने के लिए एक लंबी यात्रा को चुना था, जिसमें वो चार वर्षों तक पूरे भारत का भ्रमण करने वाले थे और इस यात्रा का समापन कन्याकुमारी में होना था.

स्वामी जी ने तीन दिन और तीन रात तक ध्यान लगाया

चार वर्षों की अथक तपस्या के बाद साल 1892 में जब स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी पहुंचे, तब समुद्र की लहरों में खामोश पड़ी शिलाओं से उन्हें एक बड़ा उद्देश्य मिला. उन्होंने निश्चय किया कि वो समुद्र तट से तैरकर पानी के बीच उस शिला पर जाकर ध्यान लगाएंगे, जहां अध्यात्म उनके मन को ईश्वर से जोड़ेगा. इस शिला पर पहुंचने से पहले स्वामी विवेकानंद, स्वामी विवेकानंद नहीं थे. वो इससे पहले नरेंद्रनाथ दत्त नाम से जाने जाते थे, जिनका जन्म कलकत्ता में हुआ था. लेकिन कन्याकुमारी पहुंचकर उन्होंने कड़ी तपस्या की और आज के रॉक मेमोरियल पर तीन दिन और तीन रात तक ध्यान लगाया. इस ध्यान से उन्हें जो ज्ञान मिला, उसी ज्ञान ने उन्हें स्वामी विवेकानंद बनाया. कुछ ही दिनों के बाद साल 1893 में वो अमेरिका के शिकागो गए, जहां विश्व धर्म संसद का आयोजन होना था. इस धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने जो ज्ञान दिया, उसने भारत और हिन्दू धर्म के प्रति पूरी दुनिया का नजरिया बदल दिया.

स्वामी जी ने धर्म संसद में क्या भाषण दिया था?

इस ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने कहा था कि मुझे गर्व है, मैं उस हिन्दू धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है. मुझे गर्व है, मैं उस भारत से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी. मुझे गर्व है हमने अपने दिल में इजरायल की वो पवित्र यादें संजो कर रखीं, जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी. मुझे गर्व है मैं उस हिन्दू धर्म से हूं, जिसने पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और लगातार अब भी उनकी मदद कर रहा है. उन्होंने आगे कहा था कि जिस तरह अलग-अलग जगहों से निकली नदियां, अलग-अलग रास्तों से होकर आखिरकार समुद्र में मिल जाती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा से अलग-अलग रास्ते चुनता है. ये रास्ते देखने में भले ही अलग-अलग लगते हैं, लेकिन ये सब ईश्वर तक ही जाते हैं.

यह तारीख भी एक संयोग!

31 मई 1893 को स्वामी विवेकानंद विश्व धर्म संसद में भाषण देने के लिए शिकागो (अमेरिका) गए थे और पूरी दुनिया को प्रभावित कर दिया था. ठीक 131 साल बाद यानी 2024 में पीएम मोदी भी 30, 31 मई और 1 जून तक ध्यान तप करेंगे. यह वह तारीख और स्थान है, जो अस्वाभाविक रूप से संयोग है. शिकागो की विवेकानंद वेदांत सोसाइटी की वेबसाइट के अनुसार, कन्याकुमारी में ध्यान करने के बाद स्वामी विवेकानंद 31 मई 1893 को बंबई (अब मुंबई) से एसएस प्रायद्वीपीय जहाज पर सवार होकर अमेरिका के लिए रवाना हुए थे. उन्होंने भगवा पगड़ी और बागा पहना था. 11 सितंबर 1893 को प्रकाशित स्वामी विवेकानंद पर पहली अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में उन्हें 'चिकने चेहरे' वाले 'सीखे हुए ब्राह्मण हिंदू' के रूप में संदर्भित किया गया था. शिकागो रिकॉर्ड रिपोर्ट में कहा गया है, उनका मांसल चेहरा चमकदार और बुद्धिमान जैस प्रतीत हो रहा था.

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot