हरियाणा

राकेश टिकैत ने ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक के दावे का किया समर्थन, कहा- भारत सरकार ने प्रयास किए होंगे

ट्विटर के को-फाउंडर और पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के बयान पर किसान नेता राकेश टिकैत ने बयान दिया है। टिकैत ने कहा कि उस समय भी हमें जानकारी थी कि किसान आंदोलन की जितनी पहुंच फेसबुक और ट्वीटर पर आनी चाहिए वो नहीं आ रही थी। ये (सरकार) स्थानीय स्तर पर इसे रोकने का प्रयास करते थे। इसका (ट्वीटर) जो मालिक था उसने अब स्पष्ट कहा है। उसने (जैक डोर्सी) ठीक कहा है, भारत सरकार ने प्रयास किए होंगे।

इससे पहले, राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ट्विटर के पूर्व सीईओ द्वारा कहा गया कि भारत सरकार के द्वारा किसान आंदोलन के दौरान जो टि्वटर अकाउंट आंदोलन का समर्थन करते थे उन्हें बंद करने का दबाव बनाया गया, अगर यह हाल अंतर्राष्ट्रीय माध्यमों का है तो देश की न्यूज़ एजेंसी का क्या हाल होगा। “कलम और कैमरा पर बंदूक का पहरा है”

दरअसल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने बड़ा आरोप लगाया है। जैक डोर्सी का कहना है कि कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में हुए विरोध प्रदर्शन के समय सरकार ने आलोचना करने वाले कई ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के निर्देश दिए थे। डोर्सी ने दावा किया कि भारत सरकार की तरफ से उन पर दबाव बनाया गया और ट्विटर को भारत में बंद करने की भी धमकी दी गई।

जैक डोर्सी का बड़ा आरोप

बता दें कि एक यूट्यूब चैनल ‘ब्रेकिंग पॉइंट्स’ ने ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी का इंटरव्यू किया। इस दौरान उनसे कई सवाल पूछे गए। इन्हीं सवालों में एक सवाल ये था कि क्या कभी किसी सरकार की तरफ से उन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई? इसके जवाब में डोर्सी ने बताया कि ऐसा कई बार हुआ और डोर्सी ने भारत का उदाहरण दिया। डोर्सी ने कहा कि ‘सरकार की तरफ से उनके कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की बात कही गई। साथ ही नियमों का पालन नहीं करने पर ऑफिस बंद करने की भी धमकी दी गई। डोर्सी ने कहा कि यह सब भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हुआ’।

डोर्सी ने इसी तरह तुर्किए का भी उदाहरण दिया और बताया कि वहां भी सरकार की तरफ से ट्विटर को उनके देश में बंद करने की धमकी दी गई थी। डोर्सी ने कहा कि तुर्किए में उनकी कंपनी ने सरकार के खिलाफ कई मुकदमे लड़े और जीते भी।

कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में हुए थे प्रदर्शन

नवंबर 2020 में भारत सरकार ने देश में तीन कृषि कानून लागू किए थे। हालांकि कानून लागू होने के साथ ही उनका विरोध भी शुरू हो गया था और एक साल तक देशभर में जगह जगह विरोध प्रदर्शन, धरने हुए। आखिरकार एक साल बाद यानी कि नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया। विरोध प्रदर्शन के दौरान सोशल मीडिया पर सरकार को खूब आलोचना झेलनी पड़ी थी।

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