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SC ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद का विवरण देने का निर्देश दिया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में लंबित मुकदमों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. मामले में समेकित और न्यायोचित आदेश की मांग की गई थी. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की है.

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, मामले की प्रकृति को देखते हुए क्या यह बेहतर नहीं होगा कि उच्च न्यायालय इस पर फैसला करे. पीठ ने देखा कि इस मुद्दे के संबंध में कई मुकदमे दायर किए गए हैं और कहा, ‘कार्यवाहियों की बहुलता और लम्बा खींचना किसी के हित में नहीं है… यह सभी के व्यापक हित में है कि मामले का निर्णय उच्च स्तर पर किया जाए.’

शीर्ष अदालत इस साल मई में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी लंबित मुकदमों को मथुरा अदालत से अपने पास स्थानांतरित कर दिया गया था. प्रबंधन समिति ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने पेश किया कि स्थानांतरण याचिका एक मुकदमे के संबंध में दायर की गई थी, जिसमें 1968 के एक समझौता डिक्री को चुनौती दी गई थी और कार्रवाई के विभिन्न कारणों वाले मुकदमों को भी एक साथ जोड़ने की मांग की गई थी.

पीठ ने सवाल किया, क्या यह हर किसी के हित में नहीं होगा कि मुकदमों को जल्द से जल्द समेकित किया जाए और उच्च स्तर पर सुनवाई की जाए? वकील ने तर्क दिया कि कार्रवाई के विभिन्न कारणों वाले मुकदमों का एकीकरण नहीं किया जा सकता है और ट्रायल कोर्ट समान रूप से सक्षम है, और इसमें कोई महत्वपूर्ण देरी नहीं है क्योंकि मुकदमे 2020 से दायर किए गए थे. वकील ने जोर देकर कहा कि मुकदमों के स्थानांतरण से पक्षकार एक अपीलीय मंच से वंचित हो जाएंगे और मुकदमे के उद्देश्य से पक्षकारों का इलाहाबाद जाना कठिन होगा.

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह ऐसे मामलों का विवरण मांगेगी और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार से इसके लिए पूछेगी, और फिर यह जांच करेगी कि मुकदमा कैसे आगे बढ़ना चाहिए. सुनवाई समाप्त करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा, ‘उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार से यह पूछना उचित समझते हैं कि वे हमें बताएं कि वे कौन से मुकदमे हैं जिन्हें विवादित आदेश द्वारा समेकित करने की मांग की गई है.’

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