बड़ी खबरराष्ट्रीय

Gyanvapi केस में मुस्लिम पक्ष को झटका, राहुल को राहत, अनुच्छेद 370 पर रोजाना सुनवाई जारी

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। बिहार में जाति आधारित गणना का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। आर्टिकल 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी। ऐसे में आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 31 जुलाई से 4 अगस्त 2023 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

ज्ञानवापी में जारी रहेगा एएसआई सर्वे

सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दे दी है। इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद मस्जिद परिसर में एएसआई का  सर्वे जारी है। इसे रुकवाने के लिए मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की रोक की अर्जी खारिज कर दी है। अदालत ने कहा इससे क्या नुकसान है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्वे की रिपोर्ट सीलबंद रहेगी। जब संबंधित अदालत के पास जाएगी और इस पर फाइनल सुनवाई होगी तब ये तय होगा कि सर्वे के कौन से हिस्से को लिया जाए और कौन से हिस्से को छोड़ा जाए। सबूतों के आधार पर अदालत निर्णय करेगी। लिहाजा सर्वे होने में कोई दिक्कत नहीं है। सीजेआई ने अपने आदेश में कहा है कि हम ये सुनिश्चित करेंगे कि विवादित ढांचे जिसे मस्जिद कहा जाता है वहां खुदाई न हो। ये बात एएसआई पहले ही ऑन रिकॉर्ड कर चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज उनकी ‘मोदी’ सरनेम वाली टिप्पणी पर 2019 मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी। इसके साथ संसद सदस्य के रूप में राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया था। लेकिन अब ये बहाल हो गई है। वो चुनाव भी लड़ सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि जो अधिकतम सजा हो सकती थी वो राहुल गांधी को सुनाई गई। ट्रायल कोर्ट ने सजा सुनाया लेकिन कारण नहीं बताया। राहुल गांधी का  बयान अपमानजनक नहीं था। प्रभाव व्यापक हैं। इससे न केवल याचिकाकर्ताओं का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित होता है, बल्कि उन मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित होता है जिन्होंने उन्हें चुना है। इन्हें ध्यान में रखते हुए और ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने के लिए कोई कारण नहीं बताया गया है, सजा के आदेश पर अंतिम फैसला आने तक रोक लगाने की जरूरत है।

आर्टिकल 370 में बदलाव का कोई तंत्र नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 2 अगस्त से सुनवाई शुरू कर दी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर दैनिक आधार पर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान जीवंत दस्तावेज है, ये स्थिर दस्तावेज नहीं है। क्या आप (याची के वकील सिब्बल) यह कह सकते हैं कि कोई तंत्र नहीं है कि अनुच्छेद-370 में बदलाव नहीं हो सकता? अगर सभी चाह लें तब भी क्या अनुच्छेद-370 में बदलाव नहीं हो सकता? सुप्रीम कोर्ट ने याची के वकील कपिल सिब्बल के सामने यह भी सवाल उठाया कि आप यह कह रहे हैं। कि किसी भी हालत में बदलाव नहीं हो सकता? संविधान के तमाम प्रावधान में (बेसिक स्ट्रक्चर को छोड़कर) बदलाव हो सकता है लेकिन इसे नहीं बदल सकते? इससे पहले कपिल सिब्बल ने कहा कि अनुच्छेद-370 किसी भी हाल में निरस्त नहीं हो सकता।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने याची के वकील कपिल सिब्बल ने दलील में कहा कि अनुच्छेद-370 को टच भी नहीं किया जा सकता है। यहां तक कि संसद में उसके लिए बिल तक नहीं लाया जा सकता है। राष्ट्रपति अनुच्छेद-370 में बदलाव की एक्सरसाइज कर सकते हैं लेकिन यह सिर्फ कंसल्टेशन प्रक्रिया के तहत ही होगा।

फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जाति आधारित गणना का मामला

बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण की वैधता को बरकरार रखने संबंधी पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में दलील दी गई है कि इस कवायद के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है। नालंदा निवासी अखिलेश कुमार द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, केवल केंद्र सरकार को जनगणना करने का अधिकार है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान मामले में बिहार सरकार ने केवल आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना प्रकाशित करके केंद्र सरकार के अधिकारों का हनन किया है। पटना हाई कोर्ट द्वारा बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को वैध और कानूनी करार दिए जाने के एक दिन बाद, राज्य सरकार हरकत में आई थी और उसने शिक्षकों के लिए चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया था।

सरकार ये सुनिश्चित करे की हेट स्पीच न हो

सुप्रीम कोर्ट नूंह हिंसा पर दिल्ली-एनसीआर में वीएचपी के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए नफरत फैलाने वाले भाषणों के मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार ये सुनिश्चित करे की हेट स्पीच न हो। इसके साथ ही कोर्ट ने किसी भी तरह के प्रदर्शन और रैली पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। नूंह जिले में हिंसा भड़काने वाले नफरत भरे भाषणों से संबंधित एक याचिका पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने यूपी, दिल्ली और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button