हिमाचल प्रदेश

राधे गोविंद भजो राधे गोविंदा से गूंजा श्री राधा कृष्ण मंदिर

टीम एक्शन इंडिया/ऊना/राजन पुरी
श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां में जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर चल रही भागवत कथा में लगातार श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। रविवार को कथा के तीसरे दिन काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा बाल आश्रम पहुंचकर कथा का श्रवण किया। वहीं राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रीमद् भागवत कथा की शुरूआत रविवार को बाबा बाल जी महाराज ने आरती के साथ किया। कथा के दौरान कथा वाचक इंद्रेश उपाध्याय ने राधे गोविंद भजो राधे गोविंदा ने भजन गाकर माहौल को भक्तिमय रंग में रंग दिया। उन्होंने कहा कि जितना समय हम भगवान में देते हैं, वहीं दुर्लभ है। बाकी सब व्यर्थ है। एक क्षण भी हम ठाकुर जी को भूलते हैं, तो वह समय व्यर्थ जाता है। उन्होंने कहा कि सबके बीच में रहकर भगवान को याद करना सर्वश्रेष्ठ है। सबको छोडकर ठाकुर जी को पाना आसान है, लेकिन सबके बीच रहकर कठिन है। उन्होंने कहा कि हरि मिलन में बाधा बनने वाले को त्याग देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता, तो मन से त्याग दो, चाहे शरीर से न त्यागो। कथा वाचक ने कहा कि शरीर से किए कार्य गिने नहीं जाते।
उन्होंने कहा कि जिस कर्म यानि अनुष्ठान व्रत यज्ञ पूजा पाठ दान तप आदि से श्री ठाकुर जी नहीं रीझते, वह सभी कर्म केवल परिश्रम मात्र है। अत: हमे कर्म से पहले ध्यान देना चाहिए। हर कर्म केवल कृष्ण की प्रसन्नता के लिए ही होना चाहिए। क्योंकि उनके प्रसन्न होने से हमे सब कुछ मिल जाता है, जो हमने सोचा भी नहीं होता। हर समय हर क्षण हमे भागवत स्मरण रहना चाहिए। चाहे जो भी कर्म करें। उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति से भक्त को वो रस मिलता है, जो कई जन्मों के सद्गुणों से भी नहीं मिलता। इसलिए भक्तों को हर पल प्रभु भक्ति में लीन रहकर इस जीवन रूपी सफर को पार करना चाहिए। स्वामी इंद्रेश ने कहा कि वीर हनुमान ने अपना सारा जीवन प्रभु राम की भक्ति करते हुए बिताया। उन्होंने भगवान के सभी दुखों को दूर किया, तो भगवान राम ने भी उन्हें अपनी भक्ति से मालामाल किया। जिस वजह से इस प्रभु-भक्त की जोड़ी विश्वविख्यात हो गई। उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य दिल से भगवान की भक्ति करता है, तो भगवान भी उसकी भक्ति को शक्ति प्रदान करते हैं तथा उसे इस जीवन-मरण के चक्र से आजाद करते हैं।
भक्ति का सौभागय सिर्फ मानव जीवन को प्रदान: बाल जी
वहीं राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने श्रद्धालुओं को अपने मुख वचनों से निहाल किया। बाल जी ने कहा कि मनुष्य इस धरती पर आने के बाद अपने कर्म व वचनों को पूरी तरह से भूल जाता हैं। जिससे वह अपनी भक्ति का रास्ता भटक जाते हैं तथा उनका कल्याण नहीं हो पाता हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु भक्ति की परम आनंद हैं। इससे बड़ा सुख किसी अन्य कार्य में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति करने का सौभगय सिर्फ मानव को प्रदान हुआ हैं। इसलिए हमें भक्ति करके अपना जीवन स्वर्ग की ओर ले जाना चाहिए।

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