
एसजेवीएन की 60 मेगावाट एनएमएचईपी की पहली यूनिट ने वाणिज्यिक उत्पादन किया प्रारम्भ
टीम एक्शन इंडिया/ शिमला/ चमन शर्मा
नन्द लाल शर्मा अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन ने अवगत करवाया कि उत्तराखंड में 60 मेगावाट की नैटवाड़ मोरी जलविद्युत परियोजना ने आज 30 मेगावाट क्षमता की पहली यूनिट ने सफलतापूर्वक वाणिज्यिक प्रचालन तिथि सीओडी हासिल कर ली है। यूनिट ने सभी आवश्यक परीक्षणों एवं राष्ट्रीय ग्रिड के साथ सफल सिंक्रनाइजेशन के उपरांत यह सीओडी हासिल की है। इस उपलब्धि के साथ, कंपनी की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता अब 2091.50 मेगावाट से बढकर 2122 मेगावाट हो गई है। नन्द लाल शर्मा ने इस उपलब्धि के लिए परियोजना अधिकारियों और परियोजना से जुड़े प्रत्येक सहयोगी के प्रयासों की सराहना की। इस परियोजना ने वाणिज्यिक ऊर्जा उत्पादन प्रारम्भ कर दिया है और अब एसजेवीएन इस परियोजना से नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति करने में सक्षम है। शर्मा ने कहा कि 60 मेगावाट एनएमएचईपी उत्तराखंड राज्य में किसी भी सीपीएसई द्वारा निष्पादित पांचवीं जलविद्युत परियोजना और राज्य में प्रचालन में आने वाली उन्नीसवीं जल विद्युत परियोजना है। इस परियोजना ने स्थानीय समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया है और उनके लिए कई रोजगार और व्यवसाय के अवसरों का सृजन किया है जिससे क्षेत्र में समृद्धि आई है।
नन्द लाल शर्मा ने आगे कहा कि 60 मेगावाट एनएमएचईपी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुना नदी की एक प्रमुख सहायक नदी टोंस नदी पर स्थित रन-आॅफ.दी-रिवर परियोजना है, जिसमें 30 मेगावाट प्रत्येक की दो उत्पादन यूनिटें हैं। यह परियोजना वैश्विक महामारी कोविड-19 के कठिन समय के बावजूद वर्ष 2017 में सिविल संकार्यों को अवार्ड होने के छह वर्षों के भीतर पूरी की गई है। परियोजना की दूसरी यूनिट भी इसी माह के भीतर कमीशन की जाएगी। यह परियोजना प्रतिवर्ष 265.5 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादित करेगी और विद्युत की निकासी एसजेवीएन द्वारा निर्मित बैनोल से स्नैल तक 37 किमी लंबी 220 केवी ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से की जाएगी। केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह और उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्ष 2018 में परियोजना की आधारशिला रखी थी। परियोजना के कमीशन होने के उपरांत उत्तराखंड राज्य को रॉयल्टी के रूप में 12: निरूशुल्क बिजली की आपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा, प्रत्येक परियोजना से जुड़े परिवार को दस वर्षों तक प्रति माह 100 यूनिट बिजली की लागत के बराबर राशि प्रदान की जाएगी।