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रागी जत्थोंद्वारा गुरबाणी से की जा रही छेड़छाड़ बर्दाशत नही : जसप्रीत सिंह करमसर
टीम एक्शन इंडिया
नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी धर्म प्रचार के चेयरमैन जसप्रीत सिंह करमसर ने गुरु हरिकृष्ण साहिब के प्रकाश पर्व पर संगतों को सम्बोधित करते हुए जानकारी दी गई कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी द्वारा अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, महासचिव जगदीप ंिसंह काहलो एवं हैड ग्रन्थी साहिबान से विचार करने के बाद प्रस्ताव पास किया गया है कि दिल्ली के एतिहासिक गुरुद्वारों में श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा तय मयार्दा के अनुसार कीर्तन करने वाले जत्थों को ही समय दिया जायेगा।
स: जसप्रीत ंिसंह करमसर ने कहा कि पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि रागी जत्थों के द्वारा फिल्मी धुनों यां संगीत पर आधारित धुन तैयार करके कीर्तन किया जाता है और इसके साथ कुछ रागी जत्थे गुरबाणी की एक पंक्ति लेकर उसे बीच में छोड़ वाहेगुरु, सिमरन करवाने लगते हैं, फिर दूसरी पंक्ति लेकर कीर्तन शुरू कर देते हैं जो कि मयार्दा के विपरीत है।
इससे पहले पुरातन समय में रागों के आधार पर कीर्तन किया जाता था उसी पुरातन मयार्दा को अपनाने की आवश्यकता है। अगर समय रहते इन्हें रोका नहीं गया तो आने वाले समय में जैसे सिख इतिहास से छेड़छाड़ हुई है उसी प्रकार गुरबाणी से भी छेड़छाड़ होती चली जाएगी। स: जसप्रीत ंिसंह करमसर ने रागी जत्थों से अपील की है कि उन्हें तय मयार्दा के अनुसार कीर्तन के समय कीर्तन, कथा के समय कथा करनी चाहिए।
ौर नाम सिमरन के लिए अलग से समय उन्हें दिया जाएगा। तीनों को मिक्स करके गुरबाणी से छेड़छाड़़ को जो कल्चर रागी जत्थों ने शुरू किया है उसे तुरन्त प्रभाव से रोकना होगा। उन्होंने संगत से भी अपील की है कि रागी जत्थों से मर्यादित गुरबाणी पर आधारित शब्द गायन करने की मांग की जाये। उन्होंने कहा आज भी बहुत से रागी जत्थे ऐसे हैं जो रागों पर आधारित कीर्तन करते हुए श्री अकाल तख्त साहिब की तय मयार्दा के हिसाब से कीर्तन करते हैें संगतों को उन्हें कीर्तन समागमों के दौरान समय दिया जाना चाहिए।