राजनीतिक

पीएम पद का चेहरा बनने की होड़ बिगाड़ सकती है ‘इंडिया’ गठबंधन का खेल

लखनऊ
लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, इंडिया गठबंधन अपनी योजना बनाने की जगह आपसी विवादों और उलझनों का शिकार होकर कमजोर पड़ता दिख रहा है। हालिया विधानसभा चुनाव में जहां सहयोगी दल आमने-सामने खड़े दिखे, वहीं सहयोगी दलों के बीच अपने नेताओं को पीएम पद का प्रत्याशी बनाने की होड़ भी दिखाई दे रही है। यह स्पष्ट तौर पर गठबंधन के दलों के बीच पैदा हो रही असहमतियों को दिखाता है। सवाल उठता है कि अलग अलग चेहरों के साथ चुनाव में गए तो कैसे एकजुटता का संदेश दे पाएंगे और सामने खड़े चेहरे का मुकाबला कर पाएंगे।

गठबंधन में पीएम पद के चेहरों को देखें तो जेडीयू की तरफ से नीतीश को उनके समर्थक पहले से ही उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताते रहे हैं। अब इस सूची में सपा प्रमुख अखिलेश यादव का भी नाम आ गया है। अभी हाल में मुलायम सिंह यादव के जन्म तिथि पर सैफई में आयोजित समारोह में पार्टी के बड़े नेताओं ने जिस तरह से अखिलेश को प्रधानमंत्री बनवाने की बात को सामने रखा, उससे तय है कि आने वाले समय में इंडिया गठबंधन की चुनौती एक अनार सौ बीमार वाली होने वाली है।

प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा जाहिर कर अखिलेश समर्थकों ने उन्हे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के मुकाबले खड़ा कर दिया। जबकि कांग्रेस की तरफ से भी गाहे ब गाहे राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा बताने की बात सामने आती रही है।

हालिया घटनाक्रम को देखें तो सैफई में मुलायम सिंह की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने कहा कि हम लोग बहुत खुश होते अगर नेताजी प्रधानमंत्री बन जाते। नंदा ने कहा अभी हम लोगों के पास मौका है, वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव बहुत नजदीक है। हम लोग चाहते हैं कि हम लोगों का जो सपना अधूरा रह गया है, उसे पूरा करते हुए 2024 में इसी उत्तर प्रदेश से अखिलेश यादव को भेजकर देश का प्रधानमंत्री बनाएंगे।

सपा के प्रमुख महासचिव राम गोपाल यादव ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में अगर सपा 40 सीटें जीत लेती है तो पार्टी अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री बनवाने की हैसियत में होगी।

कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि इंडिया गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व में बन चुका है, जितने भी राजनैतिक दल इसमें शामिल हैं, या आगे और भी जो विस्तार में जुड़ रहे हैं, उनके बीच सीट बंटवारा और आगे चुनाव में या उसके बाद किस नेता या पार्टी की क्या भूमिका या पद होगा, वह सभी निर्णय इंडिया गठबंधन की बैठक में ही तय होंगे। इससे पहले भी जो निर्णय हुए वह गठबंधन की बैठक में ही तय हुए, चाहे वह नाम हो या अन्य कोई एजेंडा।

कौन प्रधानमंत्री बनेगा या किसको कितनी सीट लड़नी है, यह सभी निर्णय किसी व्यक्तिगत पार्टी के नेता के बयान से तय नही होंगें। हमें किसी पार्टी के नेता के बयान से कोई सरोकार नहीं है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता समीर सिंह ने कहा कि अखिलेश की दावेदारी पेश करना मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने जैसा है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन में जितने में भी दल शामिल हैं, उनमें सभी पीएम पद के उम्मीदवार हैं। जो अपने राज्य में चुनाव जीत नहीं सकते लेकिन पीएम बनना चाहते हैं। ऐसी बातों को जनता ध्यान नहीं देती है। सभी को पता है कि मोदी जी के हाथों में देश सुरक्षित है और तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि स्मारक के शिलान्यास समारोह के बहाने सपा के बड़े नेताओं ने जिस प्रकार से अखिलेश यादव को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने का प्रयास किया है। इससे गठबंधन के सामने बड़ी चुनौती बढ़ेगी। इससे पहले भी सपा, जदयू, कांग्रेस, आप और शिवसेना की तरफ से ऐसी मांग उठ चुकी है। अभी गठबंधन का पूरा प्रारूप तय नहीं है तो ऐसी बाते क्यों कर रहे हैं। पीएम मोदी के सामने विपक्ष को ऐसा चेहरा लाना होगा जो सर्वमान्य हो। ऐसे में अपने अपने दलों से घोषित यह चेहरे कितने कारगर होंगे यह तो समय बताएगा। अभी फिलहाल गठबंधन की एकता को कायम रखने की चुनौती बहुत बड़ी दिख रही है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह कांग्रेस की वजह से पीएम न बन पाने की सपा के लोगों में टीस बरकरार है। सपा के नेताओं ने बातों में कहा होगा अगर यही ढर्रा चला तो अखिलेश को भी मौका नहीं मिलेगा। यही देखते हुए समय समय पर पीएम की मांग जोर पकड़ती है।

सपा के वरिष्ठ लोगों का मानना है कि राहुल अखिलेश के समक्ष है। अखिलेश का परिवार इनसे ज्यादा राजनीतिक जमीन में मजबूत है। राहुल अगर यूपी से एक सीट लाकर पीएम की दावेदारी कर हैं तो अखिलेश यादव क्यों नहीं कर सकते।

सपा के लोगों को लगता है कि जिस प्रकार सपा ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कहीं एक दो सीट मिल जाएं तो वह अपने को गैर कांग्रेसी पार्टियों के बीच दावेदारी को मजबूती से उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश के साथ नीतीश व अन्य दल भी दावेदारी करेंगे। इससे गठबंधन का नुकसान होगा।

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