धर्म-आस्था

इस साल मई- जून में थम जाएंगे शहनाईयाें के सुर, जानें क्या है वजह

मकर संक्राति से प्रारंभ हुए विवाह के शुभ मुहुर्तों में अब महज दो शुभ मुहूर्त शेष हैं। इस माह का आखिरी मुहूर्त 12 मार्च फुलेरा दूज का अबूझ विवाह लग्न रहेगा है। 7 मार्च को 9 रेखा के विवाह लग्न के साथ एक बार शहनाई थम जाएगी पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि अब होलाष्टक और मीन मलमास साथ-साथ चलेंगे। इस माह का आखिरी अबुझ विवाह मुहूर्त 12 मार्च को है। 14 मार्च से सूर्य, मीन राशि में प्रवेश कर रहा है, इस दिन से मीन मलमास प्रारंभ होगा जो 14 अप्रैल को सूर्य के राशि बदलने पर समाप्त होगा। अशुभ माने जाने वाला मीन मलमास और होलाष्टक साथ-साथ चलेगा बताया कि 14 अप्रेल से सूर्य मेष राशि में जाने से मीन मलमास तो उतर उतर जाएगा। लेकिन 23 अप्रेल से तारा लग जायेगा। इस बीच अप्रेल के 9 दिनों में सिर्फ तीन दिन ही शुभ लग्न मुहूर्त में विवाह के बैंड बाजे बजेंगे। पंडित दिनेश मिश्रा का कहना है कि विवाह के लिए कारक माने जाने वाला गुरु तारा और शुक्र तारा अस्त होने से विवाह के लिए जून तक श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है। जुलाई में भी देवशयनी एकादशी तक छह मुहूर्तों में विवाह होंगे। इसके पश्चात चातुर्मास में चार माह तक फिर विवाह की शहनाइयां नहीं बजेंगी।

मीन मलमास 14 अप्रैल तक

इस वर्ष अशुभ माने जाने वाला मीन मलमास और होलाष्टक दो दिन-आगे-पीछे शुरू हो रहा है। मीन मलमास में सूर्य जब मीन राशि में प्रवेश करता है, तब सूर्य मलीन अवस्था में होता है। चूंकि सूर्य को विवाह का प्रमुख कारक ग्रह माना गया है, इसलिए मीन मलमास में विवाह संस्कार संपन्न नहीं होंगे। मीन मलमास 14 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे।

होलाष्टक 17 से 24 मार्च तक

इसी तरह होली के आठ दिनों के पूर्व के काल को होलाष्टक कहा जाता है। आठ दिनों तक भक्त प्रहलाद को कठोर यातनाएं दी गई थीं। इस होलाष्टक काल को भी शुभ कार्यों के लिए उचित नहीं माना जाता। मीन मलमास प्रारंभ होने के दो दिनों पश्चात 17 मार्च से होलाष्टक काल प्रारंभ होगा जो 24 मार्च को होलिका दहन के दिन समाप्त होगा। इस तरह होलाष्टक और मीन मलमास साथ-साथ चलेगा। मीन मलमास खत्म होने तक सगाई, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश, विवाह आदि संस्कारों पर रोक लगी रहेगी।

गुरु-शुक्र तारा अस्त

सनातन धर्म के अनुरुप कोई भी शुभ कार्य विशेष मुहूर्तों में ही संपन्न करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ज्योतिष शास्त्र में विवाह के लिए कुंडली मिलान और ग्रह नक्षत्रों की सही स्थिति को देखा जाता है। मुहूर्त विशेष में विवाह करने से देवी-देवता, नवग्रहों का आशीर्वाद मिलता है। विवाह के लिए गुरु और शुक्र तारा का आकाश में उदित होना जरूरी है। यदि ये दोनों ग्रह अस्त हों तो विवाह नहीं किया जाता।14 अप्रैल को मीन मलमास समाप्त होगा। इसके पश्चात तीन मुहूर्त हैं। 23 अप्रैल को शुक्र तारा अस्त हो जाएगा, जो 29 जून को उदय होगा। इसी बीच 6 मई को गुरु तारा भी अस्त हो जाएगा, जो 2 जून को उदित होगा। इन दोनों ग्रह के अस्त होने से 23 अप्रैल से लेकर 30 जून तक विवाह के लिए एक भी श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है।

देवशयनी से देवउठनी तक मुहूर्त नहीं

जुलाई में भी मात्र 5 मुहूर्त में फेरे लिए जा सकेंगे। इसके पश्चात 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से 12 नवंबर तक चातुर्मास लगने से शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर में पांच और दिसंबर में खरमास शुरू होने से पहले 6 मुहूर्त हैं।

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