दिल्ली

संघ ने एलजी के सामने रखी मांगे, उठाई मेयर के इस्तीफे की मांग

टीम एक्शन इंडिया
नई दिल्ली: दिल्ली पंचायत संघ ने दिल्ली देहात के गांवों की समस्याओं को लेकर उपराज्यपाल के सामने 18 सूत्री मांगों में से चार प्रमुख मांगों को सांसदों के रखने के बाद सभी मांगों को पूरा करने की मांग की है। संघ ने दिल्ली नगर निगम से संबंधित गांवों के हाउस टैक्स और अन्य मुद्दों पर सत्तारूढ़ दल की मेयर द्वारा कार्रवाई न करने पर इस्तीफे की मांग भी की है।

अनधिकृत कॉलोनियों की तर्ज पर मिले मालिकाना हक: पंचायत संघ के प्रमुख थान सिंह यादव ने कहा कि गांवों को मलिकाना हक न मिलने और हाउस टैक्स की माफी न होने के कारण ग्रामीणों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने दिल्ली के गांवों को लाल डोरा से मुक्त कराकर उन्हें सम्मान देने की मांग की है।

यादव ने सुझाव दिया कि गांवों की आबादी के आधार पर विस्तारित लाल डोरा को 1671 अनधिकृत कॉलोनियों की तरह मालिकाना हक प्रदान किया जाए। उन्होंने गांव के निवासियों को मकान निर्माण, बच्चों की शादी-विवाह और अन्य कार्यों के लिए बैंक ऋण न मिलने पर भी दुख व्यक्त किया है। यादव ने कहा कि पहले दिल्ली देहात के गांवों के ग्रामीण किसानों का मौलिक अधिकार होना चाहिए था, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। पंचायत संघ ने वर्ष 2022 से गांवों के हाउस टैक्स की माफी की मांग की है।

क्या है मांगें: म्यूटेशन शुरू करना, किसानों को वैकल्पिक प्लॉट देना, बिजली-पानी के कनेक्शन के लिए डीडीए से अनापत्ति पत्र की प्रक्रिया समाप्त करना, और 1671 अनधिकृत कॉलोनियों में बसी कॉलोनियों को मालिकाना हक दिलवाना। गांवों को मलिकाना हक देना, हाउस टैक्स से मुक्ति, भवन उपनियमों से बाहर रखना, गांवों को व्यावसायिक श्रेणी में शामिल करना ,गांवों में पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करना, सभी गांवों में बारातघर और पंचायत घरों का निर्माण, गांव के लेआउट प्लान तैयार करना, गांव के मुख्य द्वार पर वंशावली और इतिहास दर्ज कराना, गांवों की भूमि के रेवेन्यू रिकॉर्ड को उर्दू-फारसी से हिंदी में अनुवादित करना, ग्राम सभा की कृषि भूमि को आरक्षित करना, गांवों की कृषि भूमि का सर्किल रेट बढ़ाना, किसानों को कृषि भूमि को विकसित कर बेचने का अधिकार देना, भूमिहीन और गरीब ग्रामीणों को मकान या फ्लैट आवंटित करना, गांव की वर्षों पुरानी कृषि भूमि, जो कि टेंट माफिया द्वारा लीज पर दी गई है।

 

 

से किसानों को वापस करना

 

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