पराली से हो रहे प्रदूषण को लेकर छिड़ी जंग, हरियाणा के कृषि मंत्री ने पंजाब सरकार को घेरा, लिखा- पानी मांगा है, पराली का धुआं नहीं
चंडीगढ़ : एक तरफ जहां वायु प्रदूषण दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के साथ-साथ हरियाणा के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. वहीं इस पर सियासत भी घनघोर हो रही है. एक राज्य दूसरे राज्य पर आरोप लगाने में पीछे नहीं है.
हरियाणा ने पंजाब को घेरा : अब हरियाणा सरकार ने प्रदूषण के मामले में पंजाब सरकार को घेरा है. हरियाणा सरकार में कृषि मंत्री जेपी दलाल ने इस पूरे मामले को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X) पर लिखा और पंजाब सरकार पर तंज कसा. उन्होंने पराली जलाने के मामलों को मुद्दा बनाते हुए पंजाब सरकार और आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिया और लिखा कि “पिछले तीन दिनों में पराली जलाने की घटनाओं का आंकड़ों सहित ब्यौरा…!! हमने केजरीवाल जी और भगवंत मान जी से पानी मांगा है पराली का धुआं नहीं”.
आंकड़ों की सियासत : हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री जेपी दलाल ने आगे पराली जलाने के दोनों राज्यों के आंकड़े गिनवाए. उनके मुताबिक पिछले 3 दिनों में हरियाणा में जहां पराली जलाने की कुल 175 घटनाएं सामने आई है तो वहीं पंजाब में इसी पीरियड में कुल 5140 मामले सामने आए हैं, जो हरियाणा की तुलना में काफी ज्यादा है. जेपी दलाल की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 1 नवंबर को हरियाणा में 99, 2 नवंबर को 48 और 3 नवंबर को 28 मामले सामने आए हैं. वहीं पंजाब में 1 नवम्बर को 1921, 2 नवंबर को 1668 और 3 नवंबर को 1551 पराली जलाने के मामले सामने आए.
क्या कहते हैं पीजीआई और पीयू के आंकड़े ? : वहीं हम अगर पराली को लेकर पीजीआई चंडीगढ़ और पंजाब विश्वविद्यालय के 1 नवंबर से 3 नवंबर तक के आंकड़ों की बात करें तो 1 नवंबर को पराली जलाने के मामले पंजाब में 1375, हरियाणा में 72 थे. वहीं 2 नवंबर को पंजाब में 1829, हरियाणा में 74 केस सामने आए. जबकि 3 नवंबर को पंजाब में 1743, हरियाणा में 83 पराली जलाने के मामले थे. अगर 15 सितंबर से जुटाए जा रहे पराली जलाने के आंकड़ों की बात करें तो पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के कुल मामले 13 हजार से ज्यादा थे जिनमें हरियाणा के आंकड़े दो हजार से कम थे, वहीं पंजाब के आंकड़े 11 हजार से ज्यादा थे जो कि हरियाणा से करीब छह गुना ज्यादा है.
पराली जलाने में आई कमी : वहीं पीजीआई चंडीगढ़ और पंजाब विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक बीते साल की तुलना में दोनों राज्यों में पराली जलाने के केस में 44 से 47 प्रतिशत की कमी आई है. लेकिन इसके बावजूद इस साल भी प्रदूषण ने दिल्ली एनसीआर में लोगों का जीना मुहाल कर रखा है.