हिम उन्नति योजना के तहत प्रदेश में क्लस्टर बनाकर की जा रही खेती, अभी तक 1239 क्लस्टर की पहचान
शिमला: हिमाचल प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से इनोवेटिव योजना हिम उन्नति लागू की जा रही है. दरअसल, योजना के अंतर्गत क्षेत्र विशेष आधारित एकीकृत और समग्र कृषि को प्रदेश में बढ़ावा दिया जा रहा है. योजना के अंतर्गत प्रदेश भर में चिन्हित किए गए समूहों के लिए भौगोलिक परिस्थितियों, स्थानीय जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए क्लस्टर तैयार किए जा रहे हैं. वहीं, इस योजना के तहत कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र के समेकित विकास करने के लिए न्यूनतम 40 बीघा खेती योग्य क्षेत्र वाले 1239 क्लस्टरों की पहचान की गई है.
दरअसल, इस योजना के तहत कुल 2600 क्लस्टर तैयार किए जाएंगे, जिनमें कृषि विभाग द्वारा 1200, प्राकृतिक खेत इकाई के 1100 और जायका के 300 क्लस्टर तैयार किए जाएंगे. कृषि एवं संबंधित विभागों द्वारा पूर्व में चल रही योजनाओं का समन्वय कर, एकीकृत माध्यम से कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा. प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि वर्तमान वित्त वर्ष में योजना के अंतगर्त 25 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है. हिम उन्नति के अंतर्गत अब तक 286 क्लस्टरों को चिन्हित किया गया है, जिनमें से 186 क्लस्टरों में खरीफ 2023 सीजन से गतिविधियां शुरू कर दी गई है.
किसानों को उन्नत बीज करवाए जा रहे उपलब्ध: बता दें कि फसलों की पैदावार बढ़ाने में उन्नत बीज महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाने की दिशा में सरकार द्वारा सरकारी फार्मों का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. वर्तमान में प्रदेश में 464 हेक्टेयर क्षेत्र के 36 विभागीय फार्म हैं. इन सरकारी फार्मो पर विभिन्न फसलों के लगभग 17 हजार क्विंटल आधार बीज का वार्षिक उत्पादन किया जाता है. दरअसल, यह प्रमाणित बीज राज्य के प्रगतिशील किसानों को उपलब्ध करवाए जाते हैं. वहीं, राज्य को गुणवत्तापूर्ण बीजों की दृष्टि से आत्मनिर्भर राज्य के रूप में विकसित करने और पड़ोसी राज्यों से बीज खरीद पर निर्भरता कम करने के मद्देनजर राज्य के सरकारी फार्मों के सुदृढ़ीकरण के लिए वर्ष 2023-24 में इसके लिए 1.28 करोड़ रुपये आंवटित किए गए है.
जैव उर्वरक उत्पादन नियंत्रण प्रयोगशाला का हो रहा संचालन: प्रवक्ता ने बताया कि वैज्ञानिक पद्धति आधारित कृषि को बल देते हुए प्रदेश में 11 मृदा परीक्षण, 3 उर्वरक परीक्षण, 3 बीज परीक्षण, 2 जैव नियंत्रण, एक राज्य कीटनाशक परीक्षण, एक जैव उर्वरक उत्पादन व गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला का संचालन किया जा रहा है. प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के सतत विकास की दिशा में कार्य कर रही है. सरकार कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीक को प्रयोगशाला से निकाल कर खेतों तक पहुंचाकर किसानों को लाभ पहुंचा रही हैं. सरकार की कल्याणकारी योजनाएं कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के परिदृश्य को बदलने में सहायक सिद्ध होंगी.