हाटी किसके कांग्रेस के या भाजपा के
टीम एक्शन इंडिया/नाहन/एसपी जैरथ
जंग में जो जीता वह सिकंदर होता है मगर मुद्दे को राष्ट्रपति तक पहुंचने वाले को सिकंदर कहना क्षेत्र से जीतकर बने मंत्री को नागवारा गुजर रहा है। बीते कल हाटी कल्याण मंच की दावेदारी के बाद यह मुद्दा पूरी तरह से राजनीति का अखाड़ा बन गया है। सरकार ने जहां केंद्र से स्पष्टीकरण मांग कर 2024 के रण के लिए क्षणिक राहत पाई है। वहीं भाजपा केंद्र की छत्रछाया में मुद्दे के प्रति पूरी तरह आश्वस्त भी है। हालांकि इस ट्रांसगिरी एरिया को जनजातीय क्षेत्र घोषित किए जाने का मुद्दा दशकों पुराना है मगर इसमें भी कोई शक नहीं पूर्व में रही सरकार ने इसे दोनों सदनों से राष्ट्रपति तक पहुंचा भी है। आज केंद्रीय हाटी समिति की खुमली में मंच पर कई पदाधिकारी नज?ाद भी रहे। मगर लोगों की संख्या आज भी कम नहीं थी। हालांकि बीते कल मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने अपने संबोधन में इस मुद्दे का राजनीतिकरण न किए जाने पर काफी जोर दिया। बावजूद इसके उनके पूरे भाषण में और मंच के आयोजन में कूटनीति का पूरा समावेश था। आज हुए प्रदर्शन के दौरान स्थानीय विधायक रहे बलदेव तोमर ने कहा कि हाटी विकास मंच उन लोगों का मंच बन गया है जो उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के माध्यम से अपना निजी कल्याण चाहते हैं। जबकि बीते कल कल्याण मंच की खुमली में हर्षवर्धन चौहान ने केंद्रीय हाटी समिति पर भगवाकरण का आरोप भी लगाया था।
हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि हर्षवर्धन चौहान ने अपने स्वर्गीय पिता ठाकुर गुमान सिंह का मुद्दे पर बचाव करते हुए उसे समय मुख्यमंत्री रहे हिमाचल निमार्ता डॉक्टर यशवंत सिंह परमार की ओर ध्यान खिंचवाया था। हर्षवर्धन चौहान ने अपने चुनाव क्षेत्र के विरोधी बलदेव तोमर पर बड़ी सफाई से उनके ही पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप और सांसद सुरेश कश्यप का पक्ष रखते हुए बेहतर कूटनीतिक दाव खेला। जिसका असर कहीं ना कहीं केंद्रीय हाटी समिति में भी देखने को मिल रहा है।बरहाल अब दोनों मंच आमने.सामने आ चुके हैं। मुद्दे का पूरी तरह राजनीतिकरण हो चुका है। इसमें कोई भी शक नहीं है की इस समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलना ही मिलना है। मगर देखना यह होगा कि यह हाटी अब भाजपा की होगी या कांग्रेस की क्योंकि ट्रांस गिरी एरिया का आम आदमी पढ़ा लिखा और बुद्धिजीवी भी है।