
किसानों व मजदूरों के संघर्षों के बाद ही बना है मनरेगा का कानून : कुशाल
टीम एक्शन इंडिया/मंडी/खेमचंद शास्त्री
सीटू से संबन्धित निर्माण एवं मनरेगा मजदूर यूनियन का पहला सम्मेलन मंडी के जोगिन्दर नगर के किसान भवन में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में विभिन्न पंचायतों के निर्माण व मनरेगा मजदूर प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का उदघाटन करते हुए हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने कहा कि किसानों व मजदूरों के लम्बे संघर्षों के बाद ही देश में मनरेगा का कानून बना था। इस कानून के बनने में इन अनवरत संघर्षों के साथ-साथ वामपंथी पार्टियों का महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि सन 2004 में देश में आजादी के बाद पहली बार वामपंथी पार्टियों के लोक सभा में 62 सांसद चुनकर आए थे।
राज्य सभा में भी वामपंथी सांसदों की प्रभावशाली संख्या थ जो संघर्ष किसानों व मजदूरों ने सडकों पर लड़े उसको संसद के अंदर वामपंथी सांसदों ने लड़ा, जिसके दबाव में यूपीए-1 सरकार के दौरान यह कानून बना। जब से मोदी सरकार आई है तब से मनरेगा बजट में भारी कटोती हो रही है। तरह.तरह की शर्तें थोंप कर मनरेगा को कमजोर किया जा रहा है। बजट में कटोती तथा अन्य अड़ंगों के कारण आवेदकों को काम नहीं मिल रहा है। मनरेगा में आजीविका कमा कर ही असंख्य लोग अपना पेट पालते हैं लेकिन केंद्र व प्रदेश सरकार जानबूझ कर मनरेगा को कमजोर कर रही हैं।
प्रदेश में दिहाड़ी भी नाममात्र की दी जा रही है तथा आवेदकों को न तो पूरा काम दिया जा रहा है और न ही समय पर काम व समय पर मजदूरी का भुगतान हो रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 2015 में मनरेगा के काम को भी श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण के लिए स्वीकृति मिली थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद सन 2018 से ही बोर्ड से पंजीकृत मजदूरों को मिलने वाली वाशिंग मशीनए साइकलए इंडक्शन हीटर व सोलर लैंप की सुविधा को बंद कर दिया गया तथा बहुत से मजदूरों के कोरोना समय के स्पेशल सहयोग राशि जारी