राहुल गांधी को एक बड़ी राहत देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 2019 आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी। इसके बाद संसद सदस्य के रूप में उनकी स्थिति की बहाली का मार्ग प्रशस्त हो गया। न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बयान अच्छे मूड में नहीं थे और सार्वजनिक जीवन में एक व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कांग्रेस के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन इंडिया में भी खुशी की लहर है।
आदित्य ठाकरे ने क्या कहा
मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने पर शिवसेना(उद्धव ठाकरे गुट) के विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि इस देश में नफरत और प्रतिशोध की राजनीति नहीं जीत सकती है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि मैं समझता हूं कि यह उचित आदेश है। यदि आप आज के फैसले को देखें, तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे पास सच बोलने वाले लोग लोकसभा में वापस आ रहे हैं। इस देश में नफरत की, प्रतिशोध की राजनीति नहीं जीतेगी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हम इस आदेश का समर्थन करते हैं। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, “यह अच्छी बात है…उनकी अयोग्यता का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह वही काम कर रहे थे जो वह पहले एक सांसद के रूप में कर रहे थे।”
कांग्रेस का बयान
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज पूरा देश जानता है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बेबुनियाद तथ्यों पर फंसाया गया है। उनके खिलाफ सभी साजिशें नाकाम हो गई हैं। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया तो हमें बहुत खुशी हुई। राहुल गांधी की संसद में अनुपस्थिति महसूस हुई। प्वाइंट ऑफ इनफार्मेशन के माध्यम से मैंने संसद में सभापति को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में बताया और कहा कि उनकी सदस्यता जल्द से जल्द बहाल की जानी चाहिए।आज सत्य की जीत हुई। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अदालतों या हमारे द्वारा आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं है। आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता यह है कि कृपया उनकी(राहुल गांधी) सदस्यता बहाल करें, लोकसभा और उनके उचित अधिकार वाले घर में उनकी वापसी उतनी ही समय अवधि में बहाल की जाए जिस तरह उन्हें बाहर किया गया था।