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पच्छाद के कवागधार में 22 वो 23 नवंबर को होगा श्री भूरशिंग महादेव मेला
टीम एक्शन इंडिया/नाहन/एसपी जैरथ
जिला सिरमौर के पच्छाद उपमंडल के लोगों के आराध्य देव भुरेश्वर महादेव मंदिर कवागधार में दो दिवसीय मेले का आयोजन 22 व 23 नवंबर को किया जाएगा। श्री भूरेश्वर महादेव मंदिर कमेटी अध्यक्ष मदन मोहन मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि मेले का शुभारंभ 22 नवंबर को उद्योगपति एवं समाजसेवी विनोज शर्मा करेंगे।जबकि 23 नवंबर को मेले का समापन डीसी सिरमौर सुमित खिमटा द्वारा किया जाएगा। मदन मोहन अत्री ने बताया कि मेले के दोनों दिन भंडारे का आयोजन किया जाएगा। जो कि सुबह 10 से 5 बजे तक चलेगा। मेले के दोनों दिन कबड्डी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अन्य खेलकूद प्रतियोगिताएं भी होगी।मेले की विशेष पहचान विशाल दंगल भी आयोजित होगा। साथ ही दोनों दिन स्थानीय कलाकारों द्वारा देव परंपरा के अनुसार श्रद्धापूर्वक देव कार्य भी किए जोलो पाणी रे दिवे नामक गीत पर पीरन मेले में झूमे लोग पीरन में भैया दूज पर आयोजित मेला धूमधाम से सम्पन्न शिमला 15 नवंबर।
भैया दूज के अवसर पर पीरन में जुन्गा देवता के नाम पर अतीत से मनाए माने जाने वाला पारंपरिक मेला मंगलवार को संपन हुआ। इस मेले में मशोबरा ब्लॉक के अतिरिक्त सीमा पर लगते सिरमौर जिला से आए सैंकड़ों ने मेले का भरपूर आन्नद उठाया। लोगों के मनोरंजन के लिए समिति द्वारा लोक नाट्य उत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें महासूवी सांस्कृतिक कला मंच के कलाकारों ने सिंहटू नृत्य के अतिरिक्त एक से बढकर एक पहाड़ी लोकेगीत गाकर मेले में आए लोगों का भरपूर मनोरजंन करवाया गया। पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने इस मेले में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। कला मंच के कलाकारों ने दीप नृत्य जोलो पाणी से दीवे गीत गाकर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज किया। जिसमें कलाकारों द्वारा सिरमौर के परात नृत्य की झलक भी लोगों को देखने को मिली। प्रसिद्ध लोक गायिका बिमला चैहान ने कूल्लू वाली शॉल लाई दे पहाड़ी गीत सुनाकर लोगों की वाही वाही लुटी।इस मौके पर मंच के कलाकारों ने साहिब चपरासी और रिडकूआ पशीड़ुआ लघु नाटिका प्रस्तुंत करके जहां लोगों को नशे से दूर रहने का संदेश दिया वहीं पर स्थानीय भाषा में हास्य व्यंग्य सुनाकर लोगों को हंसाकर लोटपोट कर दिया। मेले में सिंहटू नृत्य लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। जिसमें कलाकारों द्वारा विभिन्न जंगली जीव जंतुओं के मुखौटे पहनकर जहां पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दिया वहीं पर लोगों ने इस नृत्य का भरपूर आन्नद लिया।पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश की संस्कृति पूरे विश्व में सबसे समृद्ध है जिसका सरंक्षण करना हर व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है।
उन्होने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि जिस प्रकार पहाड़ी गीतों को रिमिक्स करके पेश किया जा रहा है वह उचित नहीं है इससे लोकगीतों की मौलिकता विलुप्त होने के कागार पर आ गई है। इस मौके पर वर्ड बुक आॅफ रिकार्ड और एशिया बुक आॅफ रिकार्ड में नाम दर्ज करवा चुके जोगिन्द्र हाब्बी ने बताया कि उनका उददेश्य जहां प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का सरंक्षण एवं संवर्धन करना है। ताकि आने वाली युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति एवं सभ्यता का बोध हो। मेला समिति के प्रधान अतर सिंह ठाकुर ने मेले में लोगों का स्वागत किया और मेले के ऐतिहासिक परिदृष्य पर प्रकाश डाला। समिति के सदस्यों में पूर्व प्रधान दयाराम वर्मा, दौलत राम मेहता,प्रकाश वर्मा, मोहन वर्मा, नेत्र सिंह ठाकुर, चुन्नी लाल ठाकुर, सुरेन्द्र सोडी, कृष्ण दास शर्मा, रामगोपाल मेहता, जबर सिंह ठाकुर, सुरेश शर्मा, जयानंद शर्मा सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे। इससे पहले स्थानीय लोगों द्वारा ढोल नगाड़ों व शहनाई की धुन पर शोभा यात्रा निकाली गई जोकि 22 टीका देव स्थान जुब्बड़ से होती हुई ठौड़ माता के मंदिर में संपन हुई। महासूवी सांस्कृतिक दल के प्रभारी रामलाल वर्मा, गोपाल हाब्बी, संदीप कुमार, हंसराज, दिनेश कुमार, मनमोहन सिंह, बिमला चौहान, सरोज कुमारी, अनुजा, आरती, ज्योति इत्यादि कलाकरों ने मेले में समां बांधा।