नाहन बाईपास सुरंग के लिए हैक्सा कंपनी के नाम खुली बिड
टीम एक्शन इंडिया/ नाहन/ एसपी जैरथ
शिमला-कालका फोरलेन के बंद हो जाने के बाद नाहन-कुम्हारहट्टी एनएच 907ए का महत्व साबित हो गया है। मगर इस 907ए एनएच की एनएच-72 के साथ कनेक्टिविटी में नाहन शहर सबसे बड़ी बाधा बन गया है। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा जहां बनोग से कुम्हारहट्टी तक एनएच के सुधारीकरण को लेकर बड़ा बजट मंजूर किया गया है। उसमें नाहन शहर से बाइपास को लेकर सुरंग की टेक्निकल कंसलटेंसी के लिए भी बजट का प्रावधान किया जा चुका है। यहां यह बता दें कि यह टेंडर हैक्सा कंसल्टेंसी कंपनी के नाम हुआ है। जानकारी तो यह भी है कि बरसात के बाद यह कंपनी इस सुरंग के निर्माण को लेकर तकनीकी पहलुओं का कार्य शुरू कर देगी। बताया जा रहा है कि यह सुरंग करीब 1.5 किलोमीटर लम्बी होगी, जिसमें एक साथ 2 वाहन आ और जा सकेंगे। अब यदि यह कंपनी तकनीकी पहलुओं पर काम करने के बाद जल्द ही इसकी डीपीआर बना लेती हैं तो बहुत जल्द नाहन शहर के नीचे से सुरंग बनाने का कार्य शुरू हो सकता है।इस सुरंग के निर्माण को लेकर टेक्निकल बिड 13 करोड़ की रखी गई है। जिसमें कंपनी को निर्माण कार्य के दौरान सुरंग बनाने वाली कम्पनी के साथ निर्माण के समाप्त हो जाने तक रहना भी पड़ेगा।
इस सुरंग के निर्माण से सबसे ज्यादा फयदा जुब्बल, चौपाल, शिमला, किन्नौर के किसानों व बागवानों को होगा। कुम्हारहट्टी से नाहन तक बागवानों के लिए यह एनएच सबसे उपयुक्त भी माना जा रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि इसी रूट पर पर्यटकों की आवाजाही कम होने के कारण ट्रैफिक दबाव कम है। यही नहीं एनएच 907 ए की कनेक्टिविटी एनएच 07 व एनएच 72 से होने पर देहरादून, लखनऊ व नेपाल तक का रूट भी सबसे शॉट रहेगा।
इस सुरंग के निर्माण को लेकर सांसद सुरेश कश्यप सहित विधायक अजय सोलंकी भी प्रयासरत है। बता दें कि नाहन शहर में बिरोजा फैक्टरी से नाहन तक व नाहन से गोविंदगढ़ मोहल्ला तक पूरा का पूरा क्षेत्र बॉटल नेक है।जिसके चलते सेब आदि से लदे बड़े वाहन इस बॉटल नेक एरिआ में फस भी जाते है और कई-कई घंटों का जाम लग जाता है। ऐसे में नाहन के नीचे से गुजरने वाली सुरंग प्रदेश के किसानों व बागवानों के लिए वरदान साबित होगी। तो वहीं नाहन शहर से ट्रैफि क का दबाव भी कम हो जाएगा। उधर कार्यकारी अभिशासी अभियंता वीके अग्रवाल ने बताया कि सुरंग के लिए 13 करोड़ की टेक्निकल बिड हैक्सा कंपनी के नाम खुली है। यह कंपनी बरसात के बाद बनाये जाने वाले डीपीआर को लेकर काम करना भी शुरू कर देगी।