हरियाणा

बकाया भुगतान के लिए किसानों की मिल प्रबंधन से तनातनी

करनाल/टीम एक्शन इंडिया।

भादसों शुगर मिल में किसानों के बकाया पड़े 80 करोड़ रूपए से अधिक के भुगतान और अन्य समस्याओं को लेकर भारतीय गन्ना एक्शन कमेटी और भारतीय किसान यूनियन के नेताओं की मिल प्रबंधन के साथ हंगामी बैठक हुई। इस दौरान किसान नेताओं ने किसानों के गन्ने के बकाया राशि को लेकर मिल प्रबंधन के सामने तीखे सवाल उठाए गए।
बैठक की अध्यक्षता भारतीय गन्ना एक्शन कमेटी के अध्यक्ष जसवीर सिंह जैनपुर ने की, जिसमें बतौर अतिथि के रूप में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतन मान पहुंचे। रतन मान के नेतृत्व में इक_ा हुए किसानों ने भादसों शुगर मिल के जीएम राज सिंह और गन्ना प्रबंधक कर्म सिंह के साथ गन्ने के भुगतान में हो रही देरी को लेकर किसानों की कई गंभीर समस्याओं पर चर्चा की। किसानों ने मिल प्रबंधन द्वारा भुगतान को लेकर कोई ठोस आश्वासन व वायदा न करने से मिल परिसर में जोरदार नारेबाजी कर रोष जाहिर किया। आंदोलित किसनों ने एक स्वर में चेताते हुए कहा कि जब तक गन्ने की एक एक पाई का भुगतान नहीं किया जाता, तब तक वह चुप नहीं बैठेगें। किसान नेता रतन मान ने शुगर मिल प्रबंधन को बकाया भुगतान 15 मई तक करने का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि इस दिन मिल गेट के सामने जोरदार धरना प्रदर्शन किया जाएगा और पक्का मोर्चा लगाने का भी निर्णय लिया जा सकता है। उन्होंने गन्ने का बकाया भुगतान ब्याज सहित करने की मांग को लेकर 28 अप्रैल को प्रदेश के सभी शुगर मिलों में प्रदर्शन कर ज्ञापन देने की घोषणा भी की। किसान नेताओं ने कहा कि भादसों शुगर मिल में किसानों की गन्ने की बकाया भुगतान को लेकर किसानों के साथ मिल प्रबंधन द्वारा बेइंसाफी की जा रही है। किसानों को 2 महीने से गन्ने का बकाया भुगतान नहीं मिल रहा है। मिल की तरफ किसानों का करीब 80 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया भुगतान पड़ा है, जिसे किसानों को देने में मिल प्रबंधन ढुलमुल रवैया अपना रहा हैं। भुगतान न मिलने के कारण किसानों को भारी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। बाजार की देनदारियों और बच्चों की स्कूल की फीस, किताबें व वर्दिया के भुगतान की समस्या आड़े आ रही है। उन्होंने कहा कि केन कंट्रोल बोर्ड के नियम के अनुसार किसानों को गन्ने का भुगतान शुगर मिलों द्वारा 14 दिन के भीतर करना तय किया गया है। यदि किसानों को गन्ने के भुगतान की राशि 14 दिन के बाद की जाती है तो शुगर मिल को ब्याज सहित किसान को भुगतान की करना पड़ेगा। इसके बावजूद भी शुगर मिलों द्वारा किसानों को देरी से भुगतान करने पर ब्याज की अदायगी नहीं की जा रही है।

रतन मान ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। इस मामले को लेकर भारतीय किसान यूनियन किसानों के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन छेडऩे की रूपरेखा तय कर रही है। आने वाली 28 अप्रैल को प्रदेशभर के सभी शुगर मिलों में धरना प्रदर्शन कर मिल प्रबंधन को 14 दिन के अंदर भुगतान न करने पर ब्याज सहित भुगतान करने का ज्ञापन सौंपे जाएंगे। इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सख्ती से उपरोक्त निर्देश लागू करने का आग्रह कई बार किया जा चुका है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि किसान अब चुप बैठने वाला नहीं है। शुगर मिल किसानों को भुगतान की अदायगी रोककर करोड़ों रुपए का ब्याज हड़प रहा है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। इस मामले में किसान अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल किसान हितेषी होने के खाली ढोल बजा रही है।
भारतीय गन्ना एक्शन कमेटी के अध्यक्ष जसवीर जैनपुर ने कहा कि भादसों शुगर मिल में किसान कभी मिल चलाने को लेकर तथा कभी भुगतान को लेकर आंदोलन ही कर रहे हैं। इस मिल प्रबंधन की कुव्यवस्थाओं के कारण किसानों में आक्रोश है तथा किसानों को गन्ने की खेती नष्ट करने पर बाध्य किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भादसों शुगर मिल प्रबंधन ने अपना रवैया नहीं बदला तो किसान आर पार का आंदोलन छेडने के लिए विवश हो जाएंगे।
उन्होंने शुगर मिल द्वारा भुगतान ना देने से गन्ना उत्पादकों को आ रही परेशानियों का विस्तार से उल्लेख किया।इस अवसर पर प्रदेश संगठन सचिव श्याम सिंह, किसान नेता नेकीराम, इंद्री खंड प्रधान दिलावर डबकौली, रामधारी, कुरूक्षेत्र जिला अध्यक्ष मदनपाल बपदा, रामपाल, राजेश, सुरेश, रविंदर गादली, भूपेंद्र मोर, संदीप सपदा, महिंदर सिंह और रणबीर फौजी आदि ने विचार रखे।

भुगतान न होने को लेकर बैठक में एक किसान हुआ भावुक शुगर मिल प्रबंधन के साथ चल रही किसानों की बैठक में उस समय बेहद सन्नाटा पसर गया, जब किसान रविंदर सिंह में शुगर मिल द्वारा आज तक भुगतान न करने से बच्चों की फीस व देनदारियों की अदायगी का मुद्दा उठाते समय भावुक हो गया। किसान रविंद्र ने बताया कि उसने पहली बार गन्ने की खेती की है। उसने ठेके पर जमीन लेकर भी गन्ना उगाया है। लेकिन अभी तक भुगतान ना हो पाने के कारण उसके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। स्कूल में फीस की अदायगी ना होने के कारण स्कूल प्रबंधन बच्चों को स्कूल में पढ़ाने से इंकार कर रहा है। इसके अलावा बाजार सहित कई देनदारियों की अदायगी न होने के कारण दुकानदारों के ताने सुनने पड़ रहे हैं। इस किसान के दुखदाई एवं पीड़ा सुनकर मिल प्रबंधन ने 40 प्रतिशत अदायकी करने का वायदा किया।

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