एक लाख से कम आय वाले गरीब परिवारों के आधे बिजली बिल माफ
- बिल नहीं भर पाने वालों के लिए अंत्योदय ऊर्जा सुरक्षा योजना शुरू
- अब 12 हजार रुपये वार्षिक बिजली के बिल वाले परिवार भी बीपीएल में
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि प्रदेश में सालाना एक लाख रुपये से कम आमदनी वाले परिवारों के बिजली के बिल पचास प्रतिशत माफ किए जाएंगे। रविवार की शाम चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीएम ने कहा कि सरकार ने एक लाख रुपये से कम आय वाले उन गरीब परिवारों के लिए अंत्योदय ऊर्जा सुरक्षा योजना आरंभ की है, जिनके बिजली के कनेक्शन बिल नहीं भरने की वजह से काट दिये गये हैं। ऐसे गरीब परिवारों से बकाया बिल राशि का कोई ब्याज नहीं लिया जायेगा तथा उन्हें बिजली के बिल की मूल राशि में से सिर्फ आधी राशि का ही भुगतान करना होगा। प्रदेश सरकार यह आधि राशि भी किस्तों में लेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंत्योदय ऊर्जा सुरक्षा योजना वन टाइम सेटलमेंट स्कीम पर आधारित है। प्रदेश में करीब सात लाख परिवार ऐसे हैं, जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम है। आय कम होने की वजह से काफी गरीब परिवार ऐसे हैं, जो अपने बिजली के बिलों का भुगतान नहीं कर पाये हैं, जिस कारण उनके बिजली के कनेक्शन काट दिये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अब उन लोगों को भी गरीब लोगों की श्रेणी में मानेगी, जिनका बिजली का वार्षिक बिल 12 हजार रुपये यानी एक हजार रुपये मासिक आता है। पहले यह राशि नौ हजार रुपये वार्षिक थी। 12 हजार रुपये वार्षिक बिल वाले लोगों को बीपीएल श्रेणी में मानकर उनके नाम परिवार पहचान पत्र की सूची में जोड़े जायेंगे, ताकि उन्हें केंद्र व राज्य सरकार की गरीबों के कल्याण की सभी योजनाओं का पूरा लाभ प्राप्त हो सके।
प्रदेश के 150 गावों में फिरनी होगी पक्की
जनसंवाद कार्यक्रमों में आए प्रस्तावों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने घोषणा की है कि अब राज्य के 10 हजार से अधिक आबादी वाले 150 महाग्रामों में फिरनी पक्की की जायेगी। नौवीं और दसवीं कक्षा तक पढ़ाई कराने वाले 137 स्कूलों को अपग्रेड तक उन्हें 12वीं तक किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 5500 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जिन्होंने ई-टेंडरिंग को स्वीकार करते हुए विकास कार्यों के प्रस्ताव दिये हैं। करीब 1100 पंचायतें और बची हैं, जिन्हें 30 जून तक का समय दिया गया है। यदि इस अवधि में वह विकास कार्यों के प्रस्ताव ई-टेंडरिंग के माध्यम से नहीं देती तो ग्राम सभाओं को यह अधिकार दिये जायेंगे कि वह खुली बैठकों में प्रस्ताव पारित करें।