हिमाचल प्रदेश

तबादलों में राजनीतिक दबाव पर हाईकोर्ट की बेहद सख्त टिप्पणी

शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को राजनीतिक दबावों (Political Pressure) में होने वाले तबादलों पर बहुत सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि अफसरों और जन प्रतिनिधियों का कोर्ट के आदेशों के प्रति अहंकार संविधान के अनुरूप नहीं है। राजनीतिक दबाव से किए जा रहे तबादलों के अदालत ने कई बार गैरकानूनी ठहराया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि संविधान अदालत को मूकदर्शक बनकर बैठने की इजाजत नहीं देता। अदालत ने राजनीतिक सिफारिश पर हुए तबादला आदेशों को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

खंडपीठ ने अपने आदेशों की अनुपालना के लिए निर्णय की प्रति मुख्य सचिव को भेजने के आदेश दिए हैं। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि डाइट नाहन में राजवीर ठाकुर को प्रधानाचार्य पद पर समायोजित करने के लिए स्थानीय विधायक अजय सोलंकी ने सिफारिश की थी। इस पर अमल करते हुए विभाग ने राजवीर ठाकुर को डाइट नाहन स्थानांतरित करने के आदेश दिए। साथ ही वहां कार्यरत रिषी पाल शर्मा को सिरमौर के जैहर स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया। इस आदेश को याचिकाकर्ता रिषी पाल शर्मा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। अदालत के समक्ष दलील दी गई थी कि उसका तबादला केवल प्रतिवादी को समायोजित करने के लिए किया गया है।

मंत्री, विधायक की सिफारिश अंतिम नहीं

याचिकाकर्ता को स्थानांतरित करने के लिए विभाग के पास कोई भी जनहित और प्रशासनिक जरूरत की आवश्यकता नहीं थी। राजनीतिक सिफारिश के कारण ही उसका तबादला किया गया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि विधान सभा के सदस्य या संबंधित मंत्रियों को सिफारिशें करने का अधिकार है। लेकिन इन सिफारिशों को अंतिम नहीं माना जा सकता है। स्थानांतरण का मूल सिद्धांत जनहित या प्रशासनिक अत्यावश्यकता है, जिसे केवल विभाग को निर्दिष्ट कारण बताते हुए करना होता है। अदालत ने कहा कि बार-बार पारित निर्णयों के बावजूद प्रशासनिक कार्यप्रणाली में कमी पाई गई है।

याचिकाकर्ता भी सिफारिश के बूते नौकरी पर आया

अदालत ने पाया कि डाइट में शिक्षकों की तैनाती के लिए चयन पॉलिसी बनाई गई है। इसके तहत बिना चयन प्रक्रिया के डाइट में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जा सकती है। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने भी डाइट में नियुक्ति पाने के लिए राजनीतिक सिफारिश का सहारा लिया था। ऐसे में याचिकाकर्ता भी अपने आदेशों को चुनौती देने के लिए सक्षम नहीं है। अदालत ने याचिकाकर्ता के तबादला आदेशों को बरकरार रखते हुए स्थानांतरित स्कूल में ज्वाइन करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने विभाग को आदेश दिए कि वह निर्धारित चयन प्रक्रिया के जरिये डाइट नाहन में प्रधानाचार्य का पद भरें।

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