हिमाचल प्रदेश

पूर्व सरकार के लिए काला अध्याय बना मॉडल करियर सेंटर

टीम एक्शन इंडिया/नाहन/एसपी जैरथ
केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा प्रदेश के हर जिला को दिए गए मॉडल करियर सेंटर बनाए जाने की योजना ठंडे सिरमौर में बस्ते में समा गई है। पूरे प्रदेश में मॉडल करियर सेंटर सुचारू रूप से चल रहे हैं। मगर शिमला और सिरमौर इस बेरोजगारों का वरदान कहलाने वाली योजना में पिछड़ गए हैं। शिमला में तो जमीन न मिल पाने के कारण यह मॉडल करियर सेंटर नहीं बन पाया था मगर सिरमौर के जिला मुख्यालय में इसके लिए जमीन भी चयनित की जा चुकी थी।

यहां सबसे बड़ा हैरान कर देने वाला विषय यह है कि जिस जगह पर 2015-16 में एमसीसी के लिए जमीन दे दी गई थी उसे जमीन पर पर्यावरण समिति नाहन के द्वारा स्टे ले लिया गया था। यहां सबसे बड़ा सवालिया निशान उसे कथित पर्यावरण समिति के ऊपर लगता हुआ नजर आता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि जिस जमीन के ऊपर सोसाइटी ने स्टे लिया था उसे जगह के बिल्कुल साथ लगती सभी जमीनों पर सरकारी कार्यालय बन चुके हैं। जिसमें विजिलेंस कार्यालय ट्रेजरी आॅफिस और डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी का भवन बनाया गया है। सवाल यह उठता है कि पर्यावरण सोसाइटी ने केवल मॉडल करियर सेंटर की जमीन पर ही स्टे जे क्यों लिया। बताया तो यह भी जा रहा है कि इस मॉडल करियर सेंटर के लिए जिस ठेकेदार की कंपनी के नाम टेंडर लगा था वह किसी खास नेता का खास व्यक्ति नहीं था। ऐसे में कथित पर्यावरण प्रेमी कहलाने वाले एक संगठन के द्वारा मॉडल करियर सेंटर की जमीन पर स्टे ले लिया गया। सवाल तो यह उठता है कि आखिर यह पर्यावरण प्रेमियों की सोसाइटी उस समय कहां सो गई थी जब विला राउंड में ही पूरा का पूरा जंगल धरती के नीचे जिंदा दफन करके वहां धना सेठों के फ्लैट और बड़ी-बड़ी कोठियां बन गई हैं। भ्रष्टाचारियों की हद भी ऐसी है कि संबंधित विभाग आंखें मूंदे बैठे रहे और यहां बने समस्त भवनों को बिजली पानी से भी जोड़ दिया गया। आखिर जब वहां तीन-तीन बड़े कार्यालय बन सकते थे तो केवल मॉडल करियर सेंटर को ही क्यों टारगेट बनाया गया।

यहां यह भी बता दें कि मॉडल करियर सेंटर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक ऐसी योजना थी जिसमें युवा को एक ही छत के नीचे उसके करियर की काउंसलिंग से लेकर के उसके भावी प्रोजेक्ट की तमाम योजना की प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जानी होती है। इस मॉडल करियर सेंटर में बेरोजगार और खुद का रोजगार लगाने वाले के लिए बाकायदा एक एक्सपर्ट्स की टीम हर वक्त मौजूद रहती। यह प्रोजेक्ट पूरे प्रदेश के लिए स्वीकृत किया गया था। जिला सिरमौर में भी इसके भवन के निर्माण को लेकर 5 करोड रुपए का बजट एशियन डेवलपमेंट बैंक से स्वीकृत हुआ था। मगर 2016 से लेकर आज 2023 हो चुका है मगर यह योजना बजट होने के बावजूद सिरे नहीं चढ़ पाई है। जिला में इस समय 63,000 से अधिक बेरोजगारों की फौज खड़ी है। ऐसे में यदि इसके आधी संख्या को मॉडल करियर सेंटर का लाभ मिल पाता तो कहीं ना कहीं यह सोने पर सुहागा होता। बड़ी बात तो यह भी है कि इस मॉडल करियर सेंटर के लिए पूर्व में रहे डीसी के द्वारा कांशी वाला में जमीन भी देख ली गई थी मगर वह जमीन नाले के साथ थी। यहां यह भी बता दें कि प्रशासन का केवल जमीन देने तक का ही जिम्मा था। ऐसे में सवाल यह भी उठना है कि आखिर जब पूर्व में दी गई जमीन पर अन्य बड़े सरकारी कार्यालय बन सकते हैं तो प्रशासन के कानून विभाग की ओर से श्रम एवं रोजगार विभाग के मॉडल करियर सेंटर की पुरानी जमीन से स्टे क्यों नहीं हटवाया जा रहा है।अब इस पूरे प्रोजेक्ट का जिम्मा हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के पास है बावजूद इसके नए सिरे से जमीन अथवा पुरानी जमीन पर मॉडल कैरियर सेंटर बनाए जाने का प्रयास अभी तक नहीं शुरू किया गया है।

असल में इसमें जो मुख्य भूमिका है वह हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की है क्योंकि यह पूरा प्रकरण इन्हीं के द्वारा सुलझाया जाना है। कौशल विकास निगम की ओर से पूर्व में रही मैनेजिंग डायरेक्टर यहां विजिट भी करके जा चुकी हैं।उन्होंने जिस जगह डीसी सिरमौर के द्वारा जमीन दी गई थी उसको फिजिबल नहीं बताया था। अब क्योंकि मैनेजिंग डायरेक्टर आईएएस अधिकारी जतिन लाल है और प्रोजेक्ट को एलएन शर्मा देख रहे हैं। अब यदि लिए गए स्टे के अगेंस्ट अन्य कार्यालय के आधार पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाता है तो निश्चित ही सकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं।श्रम आयुक्त एम निदेशक रोजगार विभाग मानसी सहाय ठाकुर का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के तहत मॉडल करियर सेंटर को बनाए जाने का जिम्मा कौशल विकास का है। भवन के निर्माण के बाद इसे रोजगार और लेबर विभाग को सुपुर्द किया जाता है। उधर, हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की जिला सिरमौर कोआॅर्डिनेटर मोनिका का कहना है कि मामला हायर लेवल पर है। इस बारे में उन्हें अधिक जानकारी नहीं है।

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