राष्ट्रीय

शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर जिला कोर्ट से मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी को बड़ा झटका लगा, गिराई जाएंगी

चंडीगढ़
शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर जिला कोर्ट से मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी को बड़ा झटका लगा है. जिला कोर्ट ने मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी ऑफ हिमाचल की अपील खारिज दी, जिसमें मस्जिद गिराने के फैसले को चुनौती दी गई थी. याचिका में नगर निगम आयुक्त के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें मस्जिद की तीन मंजिलों को अवैध अतिक्रमण बताते हुए गिराने को कहा गया था. कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अब मस्जिद की मंजिलों को गिराने का काम शुरू किया जा सकेगा. हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर तक मामले को निपटाने का आदेश दिया था.

क्या है पूरा मामला?
शिमला के संजौली में जो 5 मंजिला मस्जिद बनाई गई है वहां पुरानी छोटी मस्जिद की जगह एक अवैध इमारत खड़ी कर दी गई है. आरोप है कि इस मस्जिद को बिना किसी मंजूरी के 5 मंजिल तक बनाया गया है. इस मस्जिद का निर्माण 2009 में शुरू हो गया था और इसे लेकर 2010 में विवाद शुरू हो गया. विवाद होने के 2 साल बाद 2012 में वक्फ बोर्ड ने मस्जिद बनाने की मंजूरी दी थी. नगर निगम की आपत्ति पर 2013 में एक अन्य व्यक्ति ने मस्जिद की ओर से एक मंजिल का प्रस्तावित नक्शा निगम में दिया और 2018 तक बिना वैध मंजूरी के 5 मंजिला मस्जिद बना डाली. स्थानीय लोगों ने इसको लेकर आपत्ति जताई थी.

लोगों का कहना है कि जब शिमला में साढ़े तीन मंजिल से ज्यादा किसी भी इमारत के निर्माण पर सख्त प्रतिबंध है तो फिर शिमला के संजौली इलाके में सरकारी जमीन पर पांच मंजिला अवैध मस्जिद का निर्माण कैसे हुआ और अब जब सरकार को ये पता चल गया कि ये मस्जिद गैर-कानूनी तरीके से बनाई गई है तो सरकार इसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है?

जानें कब क्या हुआ
– इसी साल मतियाणा में युवकों की पिटाई के बाद संजौली मस्जिद विवाद उठा और हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया.
– 11 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने की पेशकश की थी.
– 5अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद की तीन मंजिलें तोड़ने को स्वीकृति दी.
– 21 अक्टूबर को हिमाचल हाई कोर्ट ने भी संजौली मस्जिद के पूरे ढांचे की वैधता पर अंतिम फैसला आठ हफ्ते के भीतर करने के आदेश जारी किए.
– 6 नवंबर को जिला अदालत में सुनवाई शुरू हुई और 11 स्थानीय लोगों की याचिकाकर्ता बनने पर सुनवाई की गई.
– 14 नवंबर को स्थानीय याचिकाकर्ताओं को इस मामले में पार्टी बनाने की अनुमति नहीं मिली.
– 18 नवंबर को वक्फ बोर्ड को इस मामले में मस्जिद कमेटी के अधिकृत होने या न होने पर शपथ पत्र दायर करने के निर्देश दिए.

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