‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुधार करने की जरूरत’
चण्डीगढ़/टीम एक्शन इंडिया
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दतात्रेय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 शिक्षा में सुधार करने से सम्बन्धित 15 विषयों पर कार्य करने की गति को और अधिक बढ़ाने की जरूरत है ताकि एक निर्धारित समयावधि में हम नौजवानों को विश्व स्तरीय गुणवत्तापूर्वक और रोजगारोन्मुखी शिक्षा उपलब्ध करवा सकें।
राज्यपाल आज राजभवन में सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपति व कुलसचिवों की एक दिवसीय बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उच्चतर शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा, उच्चतर शिक्षा के सलाहाकार बृजकिशोर व चेयरमैन उच्चतर शिक्षा परिषद बी के कुठियाला, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी एस ढेसी, मुख्य सचिव संजीव कौशल, राज्यपाल के सचिव अतुल द्विवेदी सहित राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपति व कुलसचिव भी मौजूद रहे।
विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से तय करें लक्ष्य: राज्यपाल ने कहा कि दो तीन विश्वविद्यालय मिलकर आपसी बैठकों में लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढें ताकि युवाओं के लिए स्वर्णिम युग की शुरूआत हो सके। इसके अलावा विश्वविद्यालय को इन 15 बिन्दुओं पर इस वर्ष अपना विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इनमें विश्वविद्यालयों को बहु-विषयक प्रकृति के तौर पर विकसित करना, कौशल विकास और मूल्यों को तय करना तथा व्यावहारिक, व्यावसायिक और रोजगारोन्मुखी शिक्षा के लिए बच्चों को भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा देने का कार्य करना है।
मातृभाषा में शिक्षा देना भी सराहनीय कार्य: राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर के अग्रणी विश्वविद्यालयों के साथ अनुबंध करें और विद्यार्थियों को दूसरे देशों में भी जाकर अध्ययन करने के लिए प्रेरित करें। दूसरों देशों के बच्चों को भी अपने देश में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आकर्षित करना चाहिए। इसके साथ ही प्रत्येक विश्वविद्यालय में मातृभाषा में शिक्षा देने को भी प्रोत्साहित करना भी कारगर कदम होगा।
बंडारू दतात्रेय ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी की परिवार पहचान पत्र की योजना लोगों के जीवन स्तर में नई जागरूकता लाएगी। उन्होनें कहा कि जिन परिवारों की वार्षिक आय 1.80 लाख रूपए यानि 15000 रूपए प्रति माह से कम है, उनकी शिक्षा का खर्चा सरकार उठाएगी। इसके साथ ही सरकारी विश्वविद्यालयों पर यह जिम्मेवारी है कि वे हर वर्ग के बच्चों को शिक्षा व रोजगार के अवसर देने में अहम भूमिका निभाएं।
राज्यपाल ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता हमारे विश्वविद्यालयों के लिए एक बेहतरीन अवसर है, जिसमें हम वहां के विश्वविद्यालयों के साथ विश्व स्तरीय तकनीक, प्रबंधन और आर्थिक एवं विज्ञान के क्षेत्र में मिलकर काम कर सकते हैं। नौजवानों के लिए नए रोजगार सृजन के अवसर प्रदान कर सकते हैं। इसके लिए हमे तुरंत ही कार्य योजना बनाने की जरूरत है और जी-20 की अध्यक्षता के स्वर्णीम अवसर को व्यर्थ में नही जाने देना चाहिए। जी-20 से देश में माहौल बदल रहा है औैैर इससे विश्व स्तर पर उत्पन्न होने वाले 3 करोड़ रोजगार के अवसरोें में से लाभ उठा सकते है।
नवीनतम व्यवसाय व शौध के लिए ड्रोन प्रशिक्षण
बंडारू दतात्रेय ने कहा कि छात्रों को रोजगारोन्मुखी बनाने हेतू औद्योगिक सहयोग की दिशा में सतत् प्रयास करते रहना चाहिए। विश्वविद्यालयों में ढांचा सुदृढ़ करने एवं सुविधाएं बढ़ाने हेतू उद्योग जगत और एलुमनी मीट को प्रोत्साहित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 32 प्रतिशत से बढाकर 2030 तक 40 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023-24 में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विद्युत वाहन, मैन्युफैक्चरिंग, एविएशन, फामेर्सी और ग्रीन टेक्नोलाजीज में उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किए जाने चाहिए तभी उनका समय पर लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि कृषि की नवीनतम व्यवसाय व शौध के लिए ड्रोन का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि किसानों के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध हो सके। इसके अलावा गुरूग्राम, कुरूक्षेत्रा, रोहतक, मुरथल जैसे विश्वविद्यालय में डीआरडीओ की सहायता से एयरोस्पेस सैंटर बनाने की दिशा में भी कार्य किया जाना चाहिए।